अगर चीन ने भारत की ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक दिया तो क्या होगा?

 



अगर चीन ने भारत की ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक दिया तो क्या होगा?

पाकिस्तान की नई डर फैलाने वाली रणनीति का एक तथ्यात्मक जवाब

भू-राजनीति की दुनिया में पानी को अक्सर एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है — डर फैलाने, भ्रम पैदा करने और एजेंडा चलाने के लिए। हाल ही में, पाकिस्तान ने यह दावा किया है कि चीन यदि चाहे तो ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक कर भारत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन क्या यह दावा सच है? और अगर चीन सच में ऐसा करता है तो भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?

आइए तथ्यों के आधार पर इस पूरे मुद्दे को समझें।


ब्रह्मपुत्र: एक नदी जो भारत में बढ़ती है, घटती नहीं

ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में यारलुंग त्संगपो कहा जाता है, एक विशाल और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय नदी है। यह तिब्बत से निकलती है, अरुणाचल प्रदेश और असम होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। लेकिन इस नदी को लेकर एक बड़ी गलतफहमी है कि भारत इसकी धारा के लिए चीन पर निर्भर है।

चीन का योगदान: सीमित और ग्लेशियर-आधारित

सच यह है कि ब्रह्मपुत्र की कुल जलधारा में चीन का योगदान केवल 30–35% है — और वह भी मुख्यतः हिमनदी पिघलने और तिब्बत में सीमित वर्षा के कारण। जबकि 65–70% पानी भारत में ही उत्पन्न होता है

यह पानी भारत के अंदर आता है:

  • अत्यधिक मानसूनी वर्षा के कारण, जो अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय में होती है।
  • प्रमुख सहायक नदियों के कारण, जैसे: सुबनसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भराली और कोपिली
  • खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से बहने वाली नदियों जैसे कृष्णल, डिगारू और कुलसी के कारण भी अतिरिक्त जल मिलता है।

भारत में ब्रह्मपुत्र कैसे एक प्रबल नदी बन जाती है

अगर हम संख्याओं की बात करें तो स्थिति और भी स्पष्ट हो जाती है:

  • भारत-चीन सीमा (तूतिंग) पर, ब्रह्मपुत्र का प्रवाह लगभग 2,000–3,000 घन मीटर प्रति सेकंड (m³/s) होता है।
  • वहीं, जब यह नदी असम के मैदानों (जैसे गुवाहाटी) में पहुंचती है, मानसून के समय इसका प्रवाह 15,000–20,000 m³/s तक बढ़ जाता है।

इसका मतलब यह है कि नदी भारत में प्रवेश के बाद कई गुना अधिक बलशाली हो जाती है, और इसका कारण पूरी तरह से भारत की वर्षा और सहायक नदियां हैं।


पाकिस्तान की रणनीति: डर और भ्रम का खेल

पाकिस्तान का यह कहना कि चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोककर भारत को दबाव में डाल सकता है, न केवल भ्रामक है, बल्कि वैज्ञानिक और भौगोलिक तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है। यह एक डर फैलाने वाली रणनीति है, जिसका कोई ठोस आधार नहीं है।

भारत ब्रह्मपुत्र के पानी के लिए चीन पर निर्भर नहीं है। यह नदी भारत के लिए मानसून आधारित जल प्रणाली है, न कि तिब्बती स्रोत पर आश्रित।


निष्कर्ष: जो सच्चाई पाकिस्तान को जाननी चाहिए

पानी की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है, खासकर एशिया में। लेकिन ब्रह्मपुत्र के मामले में, यह डर कि चीन पानी रोक कर भारत को संकट में डाल देगा, एक कल्पना है, वास्तविकता नहीं

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की भारी वर्षा, सहायक नदियों का योगदान और भौगोलिक परिस्थितियां इस बात को स्पष्ट करती हैं कि ब्रह्मपुत्र भारत में और अधिक शक्तिशाली होती है, न कि कमजोर।

इसलिए, डर फैलाने के बजाय तथ्यों को समझना और समझाना ज़रूरी है। ब्रह्मपुत्र भारत की अपनी ताकत है — और यह ताकत, भारत की ज़मीन पर और भी प्रबल हो जाती है।



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