ज़िंदा कौन है यहाँ...

ज़िंदा कौन है यहाँ
— रूपेश रंजन

ज़िंदा कौन है यहाँ
मैं मुर्दों से पूछ रहा हूँ।
मुझे भी मार दिया है ज़िंदा कहकर,
मैं भी मर गया हूँ ज़िंदा लोगों के बीच रहकर।

ख़ुदा भी हँस रहा होगा
ऐसी हालत देख कर।
सब कुछ इंसान माँग रहा है —
ज़िंदा रहने के लिए, मुर्दा बनकर।

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