जो रूट ने पछाड़ा विराट कोहली को: टेस्ट क्रिकेट के सबसे चौंकाने वाले मोड़ों में से एक
जो रूट ने पछाड़ा विराट कोहली को: टेस्ट क्रिकेट के सबसे चौंकाने वाले मोड़ों में से एक
क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, एक भावना है। यहाँ सितारे बनते हैं, देवता की तरह पूजे जाते हैं, और फिर कभी-कभी... चुपचाप अंधेरे में खो भी जाते हैं। आधुनिक क्रिकेट के सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाले किस्सों में से एक है – विराट कोहली का गिरता हुआ टेस्ट करियर और जो रूट का उभरता प्रभुत्व।
एक वक्त था जब विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट में ‘किंग’ कहलाते थे। हर देश, हर पिच पर शतक, डबल शतक लगाना आम बात थी। और वहीं दूसरी ओर, जो रूट... जिनकी तुलना ‘Fab Four’ (कोहली, स्मिथ, विलियमसन, रूट) में सबसे पीछे की जाती थी, उन्होंने एकदम चुपचाप, बिना शोर किए, खुद को इस दौर का सबसे निरंतर और शानदार टेस्ट बल्लेबाज़ साबित कर दिया।
ट्वीट में दिखी विराट की तस्वीर – जिसमें एक तरफ उनके शानदार करियर आँकड़े हैं, और दूसरी ओर वो निराश होकर पवेलियन लौट रहे हैं – यह सिर्फ एक तस्वीर नहीं, बल्कि एक दौर के अंत और नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन चुकी है।
✨ विराट कोहली का स्वर्णिम युग
2016 से 2019 के बीच का समय शायद विराट कोहली के करियर का सबसे सुनहरा दौर था।
- ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीत
- 250+ के स्कोर
- हर फ़ॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन
- 50+ की औसत के साथ टेस्ट में दबदबा
उनके आँकड़े खुद बोलते हैं:
- मैच: 89*
- रन: 7401
- 50s/100s: 24/27
- औसत: 52.86
- सर्वश्रेष्ठ स्कोर: 254* (द. अफ्रीका के विरुद्ध, पुणे 2019)
उस समय कोहली सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, एक प्रेरणा थे। वो जुनून थे, जो हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में धड़कते थे।
🔻 लेकिन फिर आया ठहराव... और फिर गिरावट
2019 के बाद अचानक जैसे सब कुछ बदल गया।
- शतक आना बंद हो गए।
- तकनीक में कमजोरी दिखने लगी।
- आउट होने का तरीका रिपिटेटिव हो गया – खासकर ऑफ स्टंप के बाहर।
- बड़े मौकों पर फेल होना सामान्य लगने लगा।
कभी जिनकी एक विकेट पर देश की धड़कन रुक जाती थी, वो अब आउट होते ही हर कोई सिर्फ इतना कहता – “फिर नहीं चला...”
🔼 वहीं, जो रूट चुपचाप बनते गए बेमिसाल
जहां कोहली की गाड़ी रुक रही थी, वहीं रूट की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी।
2020 के बाद से जो रूट ने टेस्ट क्रिकेट में जो किया, वो किसी चमत्कार से कम नहीं:
- श्रीलंका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज – हर जगह शतक
- लगातार बड़े स्कोर
- इंग्लैंड की टीम को अकेले संभालना
- तकनीक, धैर्य और क्लास का अद्भुत संतुलन
रूट ने साबित किया कि बल्लेबाज़ी सिर्फ आक्रामकता नहीं, बल्कि निरंतरता और स्थिरता का भी नाम है।
😔 विराट की गिरावट इतनी चौंकाने वाली क्यों लगी?
क्योंकि उन्होंने खुद को एक अलग स्तर पर स्थापित किया था।
क्योंकि हम उन्हें सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, एक ‘वॉरियर’ की तरह देखते थे।
उनका आउट होना अब भी उतना ही भारी लगता है, लेकिन अब उम्मीदें कुछ फीकी हो गई हैं।
एक दौर में जो रूट को विराट के नीचे आँका जाता था, अब वही रूट हर टेस्ट रैंकिंग में उनसे ऊपर हैं।
🔍 क्या गलत हुआ विराट के साथ?
कुछ संभावित कारण:
- कप्तानी का दबाव: तीनों फॉर्मेट और IPL की कप्तानी ने थकाया।
- बायो-बबल की मानसिक थकान
- तकनीकी सुधार की कमी और अधिक विश्लेषण का शिकार
- बिगड़ता आत्मविश्वास और बढ़ती आलोचनाएं
🕊️ ये अंत नहीं, बस एक ठहराव हो सकता है
विराट कोहली की विरासत पहले ही अमर हो चुकी है। उन्होंने जो योगदान दिया है – वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
लेकिन क्रिकेट का सबसे खूबसूरत पहलू यही है – यहां हर खिलाड़ी को खुद से लड़ना पड़ता है, हर बार खुद को साबित करना पड़ता है।
जो रूट ने ये चुपचाप कर दिखाया। अब शायद कोहली की बारी है।
🎭 क्रिकेट – भावना और वास्तविकता के बीच
एक समय था जब विराट कोहली के बिना टेस्ट क्रिकेट अधूरा लगता था।
अब जो रूट उस जगह पर काबिज हैं, लेकिन कोहली के बिना वो भावनात्मक जुड़ाव अभी भी अधूरा ही लगता है।
इस बदलाव ने हमें याद दिलाया –
क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, यह भावनाओं का, गिरने और फिर उठने का खेल है।
🔚 अंतिम शब्द
विराट कोहली का टेस्ट में पतन और जो रूट की चढ़ाई, आधुनिक क्रिकेट की सबसे दिलचस्प कहानियों में से एक बन चुकी है।
यह हमें सिखाती है –
- कि कोई भी खिलाड़ी हमेशा शीर्ष पर नहीं रह सकता
- कि गिरना भी खेल का हिस्सा है
- और कि असली महानता सिर्फ रन बनाने में नहीं, बल्कि गिरकर फिर खड़े होने में है
तो क्या विराट वापस आएंगे? शायद हां, शायद नहीं।
लेकिन अगर वो लौटे...
तो यह सिर्फ वापसी नहीं, एक महाकाव्य होगी।
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