अच्छा हुआ तुम चले गए...

अच्छा हुआ तुम चले गए,
रहते तो हम ही चले जाते।
अफसोस बन जाता अगर तुम रहते,
अच्छा है कि आज ही बस अफसोस है।

तुम मुझे दोष दे रही हो —
इससे बेहतर और क्या होगा,
अगर तुम खुद को दोष देती,
तो हम जीते जी मर जाते।

यूँ ही प्यार करते रहते,
और खुद को बर्बाद कर लेते।

—रुपेश रंजन


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