"तेरे नाम की बेइज़्ज़ती"



"तेरे नाम की बेइज़्ज़ती"

तू थोड़ा और ज़लील कर मुझे,
तेरे हर ताने में अब भी कुछ मिठास बाकी है।
जिस दिल ने तुझसे बेइंतहा मोहब्बत की,
उसमें आज भी तेरे लिए कुछ आस बाकी है।

तू फिर से झूठ बोले, फिर नज़रें चुराए,
मैं फिर भी मुस्कुरा दूँगा — कोई बात नहीं।
तेरे हर वार को सह लूँ हँसकर,
मेरे इश्क़ में अब भी वो ताक़त बाकी है।

तू ठुकरा दे, भुला दे, मिटा दे वजूद मेरा,
मैं फिर भी तेरा नाम ओढ़कर जी लूँगा।
तेरे हर ज़ुल्म को अपना मानकर,
तेरे नाम पर ही एक शायरी लिख दूँगा।

क्योंकि...
तू चाहे जितना भी रुला ले मुझे,
अब भी तुझसे प्यार बाकी है मेरे दिल में। 💔🌹




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