कोई आज नहीं जाता, वो तो कब का जा चुका होता है।
कोई आज नहीं जाता,
वो तो कब का जा चुका होता है।
कौन बहाना नहीं समझता,
दिल से निभाना कोई कहाँ चाहता है।
रिश्ते अब वक़्त काटने की चीज़ हो गए,
जुड़ते हैं जब तक काम होता है।
टूट जाना अब किसे दुख देता है,
हर कोई बस अपना मतलब देखता है।
जो दिल से निभाए, वही ठगा जाता है,
बाक़ी तो हर रिश्ता सौदा बन जाता है।
— रूपेश रंजन
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