सूरज तो सबको रोशनी देता है
सूरज तो सबको रोशनी देता है
— रूपेश रंजन
सूरज तो सबको रोशनी देता है,
हर कोने को उजियारा मिलता है।
अंधेरों से लड़ने की ताक़त देता है,
हर दिल को गर्मी, हर जीवन को राह देता है।
सूरज सबको अच्छा लगता है,
बच्चों की हँसी में, पेड़ों की छाँव में,
किसानों की उम्मीद में, मजदूर की थकान में —
हर किसी के जीवन में वो कहीं न कहीं बसता है।
पर सूरज…
कभी किसी के घर में नहीं समा पाता।
ना दीवारें उसे रोक पाती हैं,
ना खिड़कियाँ उसे कैद कर पाती हैं।
वो सबका है — पर किसी का नहीं।
कभी सोचो,
जो सबको बराबर रोशनी देता है,
वो खुद कितना अकेला होगा आसमान में।
ना रुकना उसका भाग्य है,
ना ठहरना उसकी फितरत।
वो सिर्फ़ चलता है, जलता है —
और सबको रोशन कर चुपचाप ढलता है।
इसलिए,
अगर कोई तुमसे दूर है पर तुम्हें रोशनी दे रहा है,
तो उसे समझो,
बांधने की कोशिश मत करो।
क्योंकि कुछ लोग सूरज की तरह होते हैं —
सबको देते हैं,
पर कभी किसी एक के नहीं हो पाते।
♥️♥️
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