दर्द ही दर्द है...
दर्द ही दर्द है...
दर्द ही दर्द है…
है तो दर्द,
नहीं है तो भी दर्द...
हर सुकून के पीछे एक चुभता सा मर्म,
हर खामोशी के नीचे कोई टूटा सा स्वर।
एक से बड़ा दूसरा दर्द,
दर्द मिटाने के लिए चाहिए और गहरा घाव...
एक को भूलने चले,
तो दूसरा दिल के और करीब आ गया।
दर्द की भी अजीब फितरत है,
छूटे तो रुलाता है,
रहे तो सुलगाता है,
और हर बार—खुद से दूर ले जाता है।
दर्द ही अब साथी है,
हर मुसाफ़िर मोड़ पर मिलता है।
दर्द ही दवा है,
जब दुनिया से भरोसा उठता है।
है तो दर्द…
नहीं है तो उसकी कमी का दर्द...
दर्द से ही राहत की उम्मीद,
दर्द से ही अब ज़िंदगी की तमीज़।
♥️♥️
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