अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
अब मुझे नींद की तलाश नहीं रहती,
रातों को जागना अच्छा लगता है।
खामोशी से बातें करना,
तारों को तकते रहना अच्छा लगता है।
पता नहीं वो मेरी किस्मत में है या नहीं,
पर दुआओं में उसका नाम लेना अच्छा लगता है।
खुदा के सामने हाथ उठाकर
उसकी सलामती माँगना अच्छा लगता है।
कभी सोचता हूँ हक है या नहीं मुझको,
पर उसकी साँसों से ज्यादा
उसकी परवाह करना अच्छा लगता है।
उसकी हँसी की रक्षा करने का सपना,
अपने जीवन से भी प्यारा लगता है।
ये प्यार सही है या नहीं,
ये सवाल कभी मन में उठता है,
पर इस एहसास को जी लेना
हर दर्द से मीठा लगता है।
शायद हम साथ हों या न हों,
पर उसकी बाँहों का ख्वाब देखना अच्छा लगता है।
उसके करीब होने का अहसास,
हर तन्हाई में अपना सा लगता है।
वो मेरा है या नहीं,
ये सोचने का हक भले न हो,
पर उसे अपना कह देना
दिल को सुकून देता है।
कभी खुद को समझाता हूँ,
कभी दिल को बहलाता हूँ,
मगर सच्चाई ये है कि
उसके लिए धड़कना ही अच्छा लगता है।
बारिश में उसके नाम की बूंदें गिनना,
हवाओं में उसका स्पर्श ढूँढना,
रात की चाँदनी में उसका चेहरा देखना—
सब अच्छा लगता है।
उसके लिए कविताएँ लिखना,
उसके लिए दुआएँ करना,
उसके लिए हर आहट पर चौंक जाना,
सब अच्छा लगता है।
कभी वो दूर है,
कभी पास लगता है,
कभी सपना है,
कभी सांस लगता है।
पर हर रूप में, हर पल
वो अच्छा लगता है।
शायद ये दीवानगी है,
शायद ये पागलपन है,
पर अगर दिल की धड़कन को
नाम देना हो—
तो कहना चाहूँगा,
ये बस "वो" है...
और "वो" हर हाल में
अच्छा लगता है।
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