प्यार यानी इंतज़ार
प्यार यानी इंतज़ार
प्यार वो ख़ामोश धड़कन है जो हर वक़्त किसी की आहट ढूँढती है,
कभी उसके "हाँ" कह देने की उम्मीद में पलकों पर सपनों को सजाती है,
तो कभी उसके "ना" सुन लेने के बाद भी उसी मुस्कान की राह तकती है,
जैसे दिल मानने को ही तैयार न हो कि कहानी यहीं खत्म हो गई।
प्यार वो बेचैनी है जो हर मैसेज की टनटनाहट में दिल को हिला देती है,
हर अनदेखे कॉल में उम्मीद जगाती है कि शायद ये उसी का होगा,
हर शब्द में एक अनकही मुलाक़ात का वादा महसूस कराती है,
जैसे हर लम्हा बस उस एक मुलाक़ात की घड़ी का इंतज़ार हो।
कभी पढ़ाई पूरी होने तक थमकर बैठ जाती है ये मोहब्बत,
कभी करियर सँवर जाने के बाद मिलने की राहें तलाशती है,
कभी हालात सुधर जाने का बहाना बनाकर ख़ुद को समझाती है,
जैसे मोहब्बत की मंज़िल तक पहुँचने के लिए वक्त से समझौता कर लेती है।
प्यार वो सफ़र है जो घरवालों की रज़ामंदी की दहलीज़ पर ठहर जाता है,
कभी आशीर्वाद के इंतज़ार में आँखें छलक पड़ती हैं,
तो कभी मजबूरियों के बोझ में सपने दब जाते हैं,
फिर भी दिल हार मानकर भी हार मानने को तैयार नहीं होता।
ये वो रात है जो नींद छीन लेती है बस उसकी यादों के नाम पर,
ये वो सुबह है जो सूरज से पहले ही उसकी मुस्कान ढूँढती है,
हर दिन की शुरुआत और अंत में बस उसकी झलक तलाशती है,
जैसे ज़िन्दगी का हर मौसम सिर्फ़ उसके आने के इंतज़ार में ठहरा हो।
प्यार का मतलब है आँखों से बातें करना और उन बातों को समझना,
कभी दूर से भी उसकी खामोशी सुन लेना और उसमें सुकून पाना,
हर आहट को उसकी आहट मानकर दिल धड़क उठना,
और फिर उसी अहसास में पूरी दुनिया भूल जाना।
ये वो जज़्बात है जो चिट्ठियों में ढलते हैं और जवाब का इंतज़ार करते हैं,
ये वो बेचैनी है जो तस्वीरों में कैद चेहरों से बातें करती है,
ये वो प्यास है जो हाथ थाम लेने की गर्मी ढूँढती है,
और फिर चुप रहकर भी सब कह देने की ताक़त रखती है।
प्यार वो ख़ुशी है जब उसकी हँसी से दिल के सारे अंधेरे मिट जाते हैं,
ये वो दर्द है जब उसके आँसुओं को पोंछने की चाह जागती है,
ये वो अपनापन है जो उसे अपनी बाँहों में छुपा लेना चाहता है,
और फिर दुनिया से लड़ जाने की हिम्मत पैदा कर देता है।
प्यार में इंतज़ार कभी फ़ोन की घंटी का होता है तो कभी एक चुप्पी का,
कभी शब्दों की ज़रूरत महसूस होती है तो कभी खामोशियाँ ही काफी होती हैं,
हर अनकही बात भी उसके दिल तक पहुँचने का रास्ता ढूँढ लेती है,
जैसे दो रूहें बिना बोले ही सब जान लेती हों।
ये वो ख्वाहिश है जो वक़्त को धीरे चलने की दुआ माँगती है,
और कभी चाहती है कि पल झटपट बीत जाएँ उसके मिलने की खातिर,
ये वो द्वंद्व है जो दिल और दिमाग़ में हर रोज़ चलता रहता है,
जैसे मोहब्बत खुद ही अपने सवालों के जवाब तलाश रही हो।
प्यार उम्मीदों का वो धागा है जो हर बार टूटकर भी जुड़ जाता है,
ये दर्दों की वो दवा है जो आंसुओं में भी मुस्कान तलाश लेती है,
ये अधूरेपन का वो गीत है जो फिर भी सुनने में मीठा लगता है,
और ये इंतज़ार की वो डगर है जो कभी खत्म नहीं होती।
कभी ये मिलने का इंतज़ार है तो कभी खो जाने का डर है,
कभी यादों में जीने की आदत है तो कभी उनसे छुटकारा पाने की चाह है,
ये प्यार हर मोड़ पर नए रूप में सामने आता है,
और हर रूप में इंतज़ार उसका सबसे बड़ा साथी बन जाता है।
सुबह की चाय में उसकी बातें घुल जाती हैं,
शाम की हवा में उसकी यादें बिखर जाती हैं,
दिन का हर लम्हा उसी के नाम का इकरार करता है,
जैसे पूरी दुनिया उसी एक शख़्स के चारों ओर घूम रही हो।
प्यार वो सपना है जो रातों में दिखता है और दिन में भी पीछा करता है,
वो खामोशी है जो दिल की हर धड़कन में गूंजती है,
वो नशा है जो बिना छुए ही सब पर छा जाता है,
और वो इंतज़ार है जो ज़िन्दगी का सबसे सच्चा इम्तिहान बन जाता है।
आख़िरकार प्यार वही है जो पाने और खोने के बीच ठहरता है,
कभी मिल जाने की राहत है तो कभी भुला देने की मजबूरी है,
ये वो रास्ता है जो हर किसी को कहीं न कहीं ले ही जाता है,
और उस रास्ते का नाम है—इंतज़ार, बस इंतज़ार।
Comments
Post a Comment