उठो, यह युद्ध पुकारता है
🔥 उठो, यह युद्ध पुकारता है
उठो, यह युद्ध पुकारता है,
रगों में बिजली सा दौड़ता है,
रुकना नहीं, झुकना नहीं,
यह मार्ग शौर्य से जुड़ता है।
कदमों की गूंज से धरती थर्राए,
हृदय की ज्वाला नभ तक जाए,
सपनों की दीवार तोड़ो साथी,
अंधकार को चीरकर सूरज लाओ।
लहू से लिखी गाथा होगी,
पसीने से सींची धरती होगी,
त्याग से जन्मेगी नयी कहानी,
संघर्ष ही सच्ची अराधना होगी।
उठो, यह युद्ध पुकारता है,
रगों में बिजली सा दौड़ता है,
रुकना नहीं, झुकना नहीं,
यह मार्ग शौर्य से जुड़ता है।
शस्त्र नहीं, इरादे काफी हैं,
घाव नहीं, जख्म भी ज्योति बनते हैं,
हर गिरावट है अग्नि की सीढ़ी,
हर आँसू में बिजली छुपी है।
आवाज़ बुलंद कर, तूफ़ानों को ललकार,
चट्टानों को फोड़, सागर को कर पार,
जोश से बड़ा कोई अस्त्र नहीं,
आस्था से गहरा कोई वार नहीं।
उठो, यह युद्ध पुकारता है,
रगों में बिजली सा दौड़ता है,
रुकना नहीं, झुकना नहीं,
यह मार्ग शौर्य से जुड़ता है।
मिट्टी की खुशबू बलिदान से आती है,
धरती वीरों के रक्त से सजती है,
हर शहीद की सांस अभी भी कहती है,
“हार मत मानो, जीत यहीं बनती है।”
तूफान से खेलो, बिजली को पकड़ो,
लपटों से नाचो, अग्नि को गले लगाओ,
धड़कनें हों या तलवार की टंकार,
हर स्वर में विद्रोह गूँजाओ।
उठो, यह युद्ध पुकारता है,
रगों में बिजली सा दौड़ता है,
रुकना नहीं, झुकना नहीं,
यह मार्ग शौर्य से जुड़ता है।
विजय तुम्हारी प्रतीक्षा करती है,
पराजय की कोई औकात नहीं,
संघर्ष ही जीवन का सच्चा मंत्र है,
आदमी की पहचान है हिम्मत, हार नहीं।
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