वो ख़्वाब भी, हक़ीक़त भी



वो ख़्वाब भी, हक़ीक़त भी

वो चाहत है मेरी,
मैं तड़प हूँ उसकी।
वो धड़कन है मेरी,
मैं सांस हूँ उसकी।

वो अरमान है मेरा,
मैं सुकून हूँ उसका।
वो रूह की प्यास है मेरी,
मैं दरिया हूँ उसका।

वो ख्वाहिश है मेरी,
मैं पूरा होना हूँ उसका।
वो दुआ है मेरी,
मैं कबूलियत हूँ उसका।

वो मंज़िल है मेरी,
मैं सफ़र हूँ उसका।
वो चाँदनी है मेरी,
मैं अंधियारा हूँ उसका।

वो परछाई है मेरी,
मैं आईना हूँ उसका।
वो सच्चाई है मेरी,
मैं जज़्बात हूँ उसका।

वो मुस्कान है मेरी,
मैं वजह हूँ उसका।
वो ग़ज़ल है मेरी,
मैं हर शेर हूँ उसका।

वो सवेरा है मेरा,
मैं उजाला हूँ उसका।
वो तन्हाई है मेरी,
मैं सहारा हूँ उसका।

वो ख्वाब है मेरा,
मैं आँख हूँ उसकी।
वो रहमत है मेरी,
मैं अमानत हूँ उसकी।

वो रंग है मेरी दुनिया का,
मैं तस्वीर हूँ उसकी।
वो कहानी है मेरी,
मैं तहरीर हूँ उसकी।

वो मोहब्बत है मेरी,
मैं वफ़ा हूँ उसका।
वो नशा है मेरी रगों में,
मैं खुदा की दुआ हूँ उसका।

कैसे छोड़ दूँ उसे,
जब वो सांसों में बसा है।
कैसे दूर हो जाऊँ उससे,
जब वो दिल के पास है।

वो मेरा ख्वाब भी है,
मेरी हक़ीक़त भी।
वो मेरा दर्द भी है,
मेरी राहत भी।

वो है तो मैं हूँ,
मैं हूँ तो वो है।
हम दोनों की मोहब्बत
बस रूह का सिलसिला है।


रूपेश रंजन

Comments

  1. wow ♥️♥️ Awesome, speechless ❣️❣️

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