प्रेम ही मेरा परम सत्य...

प्रेम ही मेरा परम सत्य
– रुपेश रंजन

तुम्हारे लिए ईश्वर मंदिरों में है,
मस्जिदों की अज़ानों में है,
गिरजाघरों की घंटियों में है —
मुझे देखो…
ईश्वर मेरे पास है,
हर धड़कन में, हर साँस में,
मैं उसे महसूस करता हूँ,
रक्तधमनियों में बहते प्रेम के आग्रह में।

न कोई दिशा भ्रम है,
न कोई भय, न कोई शंका।
मुझे मोक्ष की कोई लालसा नहीं,
न स्वर्ग का मोह, न नरक का डर।
भूत का बोझ नहीं,
भविष्य की चिंता नहीं,
मैं वर्तमान में स्थित हूँ,
स्थिर हूँ — पूर्ण रूप से यहीं।

प्रेम ने मुझे परिभाषित किया है,
न किसी ग्रंथ की ज़रूरत पड़ी,
न किसी माला, व्रत या तीर्थ की।
प्रेम ही मेरा पंथ है,
प्रेम ही मेरा धर्म है,
और प्रेम ही मेरा परम सत्य।


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