तूफ़ान तो बाहर था...
तूफ़ान तो बाहर था, मगर लहरें अंदर उठती रहीं,
तेरी ख़्वाहिश की तपिश में मेरी साँसें सुलगती रहीं।
तेरी नज़रों का जादू, मेरे होंठों पे उतर आया,
हर छुअन तेरी, मेरे जिस्म का मौसम बदल आया।
तेरे आलिंगन की गर्मी से बदन मदहोश हो गया,
तेरे इश्क़ की नमी से हर लम्हा गुलाब सा हो गया।
तेरी साँसों की आहट, मेरे दिल की धड़कन बन गई,
तेरी छुअन की लपट, मेरी रगों में अगन बन गई।
तूफ़ान जितना भी तेज़ हो, मैं हारना चाहती हूँ,
तेरे आलिंगन की बारिश में, भीग कर निखरना चाहती हूँ।
ये नशा तेरे इश्क़ का है या बदन की प्यास का आलम,
हर पल तुझमें खोकर, जीना चाहती हूँ एक नया जनम।
Wow amazing ♥️♥️
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Delete💕💕💕
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