टेस्ट मैच बल्लेबाज़ नहीं, गेंदबाज़ जिताते हैं: अब गेंदबाज़ी पर फोकस ज़रूरी है



🏏 टेस्ट मैच बल्लेबाज़ नहीं, गेंदबाज़ जिताते हैं: अब गेंदबाज़ी पर फोकस ज़रूरी है

भारत और इंग्लैंड की हालिया टेस्ट सीरीज़ ने एक अहम सवाल खड़ा कर दिया है — हमारे गेंदबाज़ कहीं ज़रूरत से ज़्यादा रन बनाने की कोशिश में अपनी असली भूमिका तो नहीं भूल रहे?

सीधी बात करें: गेंदबाज़ का काम विकेट लेना है, रन बनाना नहीं। जब गेंदबाज़ खुद को ऑलराउंडर साबित करने के चक्कर में विकेट लेना भूल जाते हैं, तो टीम की जीत दूर होती जाती है।

रविंद्र जडेजा को ही देख लीजिए — शतक ज़रूर अख़बार की हेडलाइन बनाता है, लेकिन जब इंग्लैंड चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा कर रही थी, तब ज़रूरत थी एक ऐसी गेंदबाज़ी की जो उन्हें 150 रन से पहले ही समेट दे। उसी पिच पर, उसी मौके पर, एक “फिफर” कहीं ज़्यादा काम का होता शतक से।

आकाशदीप भी एक शानदार युवा तेज़ गेंदबाज़ हैं। लेकिन अगर वो अपने बल्ले से टीम में जगह पक्की करने की कोशिश करेंगे, तो असल हुनर पीछे छूट जाएगा। उन्हें ध्यान देना चाहिए कि कैसे पुराने गेंद से रिवर्स स्विंग निकाली जाए, कैसे नई गेंद से विकेट चटकाए जाएं, और कैसे मुश्किल परिस्थितियों में साझेदारियाँ तोड़ी जाएं।

हमें फिर से याद रखना होगा कि टेस्ट क्रिकेट में जीतने के लिए ज़रूरी है विपक्षी टीम को दो बार ऑल आउट करना। चाहे 500 रन बना लें, अगर विकेट नहीं निकाल पाए — तो जीत नामुमकिन है।

जब इंग्लैंड चौथी पारी में बल्लेबाज़ी करने उतरे, तो उन्हें हर ओवर में डर महसूस होना चाहिए। गेंदबाज़ों को आक्रमण करना चाहिए, न कि बचाव की सोच से गेंदबाज़ी करनी चाहिए।

ऑलराउंडर बनने के चक्कर में वो गेंदबाज़ी न भूले जो मैच जिताती है। भारत को अब ऐसे गेंदबाज़ चाहिए जो इंग्लैंड को 150 रन से पहले समेट दें — बस!




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