*इस दुनिया में अगर कुछ भी ग़लत है
**इस दुनिया में अगर कुछ भी ग़लत है
तो हमसे ज़्यादा ग़लत क्या है
हम ही हैं जो कुछ छुपाते हैं
कुछ ग़लत देखकर चुप हो जाते हैं
हम ही हैं जो डर के सह जाते हैं
सच के बदले झूठ कह जाते हैं
पर वक़्त कहता है अब बदल जाना है
ज़ुल्म के आगे अब संभल जाना है
हम ही तो हैं जो तहरीर लिखेंगे
ख़ामोशियों से तक़दीर लिखेंगे
जहाँ अँधेरा है वहाँ रौशनी लाएँगे
जहाँ ग़लत है वहाँ सच दिखाएँगे**
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**झूठे हैं, मक्कार हैं, धोखेबाज़ हैं
सच से डरते, फ़रेब ही अंदाज़ है
हम ही हैं जो अब ख़ामोश नहीं रहेंगे
ज़ुल्म के आगे कभी झुकेंगे नहीं, लड़ेंगे
अब हर गली से आवाज़ उठेगी
हर जुबाँ से सच्चाई बोलेगी
जो अंधेरे में छुपे हैं, वो उजाले में आएँगे
जो ग़लत हैं, वो सच के सामने झुक जाएँगे
ये इन्क़लाब है, ये नारा-ए-हक़ है
हक़ की राह पर चलना ही सबक़ है
तूफ़ानों से डर कर सफ़र रुकता नहीं
हम हैं, तो इरादों का समंदर थमता नहीं**
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**क्यूँ डरती हो इतना,
सच है कि तुम्हें भी प्यार है।
क्यूँ डरती हो ख़ुद से,
मुझे मालूम है तुम्हारे दिल में क्या राज़ है।
प्यार ही तो है, कुछ ग़लत थोड़े है,
तुमने चाहा है, ये तुम्हारा ही हक़ है।
मौक़ा-ए-दस्तूर का इंतज़ार नहीं करते,
अपनों से इज़हार-ए-मोहब्बत में देर नहीं करते।
वो तुम्हारा है,
इतना तो यक़ीन ख़ुद पे करते हैं।**
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तुम्हारे लिए नहीं लिखेगा तो किसके लिए लिखेगा
तुम जान हो उसकी, तो दिल भी तुम्हारे लिए धड़केगा
मोहब्बत के लफ़्ज़ काग़ज़ पे उतरते हैं तुम्हारे नाम से
हर ख़्वाब, हर दुआ, हर जज़्बा जुड़ा है तुम्हारे सलाम से
वो शायर नहीं, आशिक़ है जो बस तुम्हें देख कर जीता है
तुम ही उसकी दुनिया, तुम ही उसका अफ़साना और हक़ीक़त हो
तुम्हारे बिना उसका दिल वीरान सा लगता है
तुम्हारी मुस्कान से ही तो उसका जहाँ रौशन होता है
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