तुम जानते हो?



तुम जानते हो?

तुम जानते हो, मुझे क्या अच्छा लगता है?
बरसात की वो पहली बूंद,
जब मिट्टी की ख़ुशबू हवा में घुलती है,
और लगता है जैसे दिल ने नया गीत सीखा हो।

तुम जानते हो, मुझे क्या भाता है?
समंदर की लहरें जब किनारे से टकराती हैं,
और हर लहर एक नया राज़ कहती है,
मानो प्रकृति भी मोहब्बत का इज़हार करती है।

तुम जानते हो, मुझे क्या पसंद है?
खिलते फूलों की नरम खुशबू,
जो थके मन को सुकून दे जाती है,
और आँखों को एक नई चमक दे जाती है।

तुम जानते हो, मुझे क्या सुकून देता है?
चाँदनी रातें जब खामोश आसमान तले,
तारे झिलमिलाते हैं जैसे किसी ने दुआ की हो,
और हवाएँ तुम्हारा नाम धीरे से गुनगुनाती हैं।

तुम जानते हो, मुझे क्या अच्छा लगता है?
किताबों के पन्नों में छिपी कहानियाँ,
जो अनकही भावनाओं को ज़ुबान देती हैं,
और हर शब्द दिल का आईना बन जाता है।

तुम जानते हो, मुझे क्या भाता है?
अच्छी शायरी, जो दिल से निकली हो,
जिसमें जुदाई भी हो, पर मोहब्बत भी,
और हर मिसरा किसी अधूरी दुआ सा लगे।

तुम जानते हो, मुझे क्या सबसे ज़्यादा प्रिय है?
तेरा नाम जब मेरी लिखावट की शुरुआत बने,
जब हर कविता का पहला लफ़्ज़ तुमसे जुड़ जाए,
और मेरी कलम तेरे बिना कुछ भी लिख न पाए।

तुम जानते हो, मुझे क्यों अच्छा लगता है?
क्योंकि इन सब में कहीं न कहीं तुम हो,
बरसात की बूँदों में, समंदर की लहरों में,
फूलों की ख़ुशबू में, चाँदनी रातों में।

तुम ही हो वो शायरी जो मुझे छू जाती है,
तुम ही हो वो ख़्वाब जो आँखों में ठहर जाते हो,
तुम ही हो वो शुरुआत जो हर सफ़र की ज़रूरत है,
और तुम ही हो वो अंत, जो अधूरा भी पूरा लगता है।

तुम जानते हो, मुझे क्या पसंद है?
वो लम्हा जब तुम चुपचाप पास बैठे हो,
कुछ कहे बिना भी सब कह जाते हो,
और मेरी हर खामोशी को अपना जवाब बना लेते हो।

तुम जानते हो, मुझे क्या सबसे प्यारा है?
ये सच कि ज़िन्दगी के हर रंग में,
हर मौसम में, हर ख़ुशबू में, हर लफ़्ज़ में,
मुझे बस तुम ही सबसे ज़्यादा पसंद हो।



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