शायद यूँ ही चलेगा
शायद यूँ ही चलेगा
शायद यूँ ही चलेगा,
तेरा मेरा रिश्ता उम्र भर,
कभी पास होकर भी दूर,
कभी दूर होकर भी बेहद पास।
मिल गए तो बातें लम्बी,
हर खामोशी भी एक किस्सा बने,
हर नज़र में एक गहराई हो,
हर लम्हा जैसे सदियों तक जिये।
और अगर न मिले कभी,
तो यादें लम्बी हो जाएँगी,
तेरी मुस्कान की परछाईं
हर शाम को रोशन कर जाएगी।
तेरे बिना भी ज़िन्दगी चलेगी,
पर तेरे साथ होने जैसा कहाँ होगा,
तेरे नाम से जुड़ा हर ख्वाब
दिल की किताब में लिखा रहेगा।
कभी तन्हाई में तेरा ख्याल आएगा,
जैसे हवा में तेरी खुशबू तैरती हो,
कभी रात के सन्नाटे में
तेरी आवाज़ कानों में गूंज उठेगी।
शायद यही है हमारी किस्मत,
मिलन और जुदाई का संगम,
कुछ पल हाथों में हाथ थामना,
और फिर तन्हाईयों का गहरा आलम।
तेरा चेहरा चाँद सा चमकेगा,
भले ही तू सामने न हो,
तेरी यादें दीपक की लौ बनकर
अंधेरों में राह दिखाएँगी।
कभी लगेगा तू बहुत पास है,
जैसे धड़कनों में ही छुपा है,
कभी लगेगा तू बहुत दूर है,
जैसे रूह से भी जुदा है।
तेरा मेरा रिश्ता यूँ ही रहेगा,
बिना कहे भी बहुत कुछ कहेगा,
कभी आँसुओं में, कभी मुस्कानों में,
कभी दुआओं में, कभी फरियादों में।
शायद यूँ ही चलेगा ये सिलसिला,
मिलन अधूरा, जुदाई अधूरी,
पर इस अधूरेपन में भी
एक अनोखी पूरी-सी मोहब्बत होगी।
तू सामने हो या न हो,
तेरी मौजूदगी महसूस होगी,
तेरी हर याद दिल की गहराई में
हमेशा जिंदा रहेगी।
शायद यही है रिश्ता हमारा,
जिसे न वक्त तोड़ पाएगा,
न दूरियाँ मिटा पाएंगी,
न खामोशियाँ दबा पाएंगी।
मिल गए तो लम्हें लम्बे,
ना मिले तो सदियाँ तेरे नाम,
शायद यूँ ही चलेगा,
तेरा मेरा रिश्ता उम्र भर।
रूपेश रंजन
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