राख क्या रोएगी, राख तो रुलाएगी
राख क्या रोएगी, राख तो रुलाएगी
राख क्या रोएगी,
राख तो रुलाएगी,
जिसने सब जला डाला,
उसकी याद जगाएगी।
धधकते अंगारों की गवाही,
चुपचाप सुना जाएगी,
भस्म में भी छिपा है जीवन,
ये सच्चाई समझाएगी।
तू मत समझ इसे अंत,
ये नई शुरुआत बताएगी,
राख क्या रोएगी,
राख तो रुलाएगी।
♥️♥️
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