नवरात्रि की पहली रात – शैलपुत्री माता

नवरात्रि की पहली रात – शैलपुत्री माता

धरा पर छा गया, नया विश्वास का उजियारा,
पहली रात आई, माँ शैलपुत्री का सवेरा।

सफेद वस्त्र में माँ की छवि निर्मल दिखी,
सिंह वाहन पर विराजित, शक्ति अद्भुत भिखी।

गले में कमल, हाथ में त्रिशूल थामा,
भक्तों के मन में आशा का दीपक जलाया।

शंख की गूँज से गगन भी नतमस्तक हुआ,
भक्ति की लहरों में हर हृदय गा उठा।

सूरज की पहली किरण भी माँ को निहारती,
धरती पर उनके चरणों में प्रेम बहता प्रतीति।

उपासकों ने अरघ्य दिया, फूल और जल चढ़ाया,
हर मन में माँ की भक्ति का मधुर संगीत बजाया।

धैर्य और संतोष का संदेश छाया हर ओर,
शैलपुत्री का आशीष बना जीवन का सर्वोत्तम स्वर।

पहली रात की आरती में जप और मंत्र गूंजे,
भक्तों के हृदय में माँ की महिमा अमर हुई।

सत्य और धर्म की राह दिखाने आईं माँ,
अज्ञान के अंधकार को मिटाने आईं माँ।

माँ आई हैं, शक्ति और करुणा का प्रतीक बनकर,
नवरात्रि की यात्रा में हमें नया जीवन देकर।

हर घर में गूँज रही जयकारा “जय माता दी”,
पहली रात से ही भक्ति ने मन को मोहा पूरी।

रूपेश रंजन

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