खलिश तो बहुत है, उसका मुझे धोखा देना
खलिश तो बहुत है,
उसका मुझे धोखा देना
और फिर किसी और से वाबस्ता हो जाना,
इसका कोई जवाब नहीं।
वो उसका हक़ है,
उसकी मर्ज़ी है,
जिसके साथ चाहे, उसके साथ चली जाए।
मगर दिल को दर्द तो होता है…
झूठ कह दूँ दुनिया से,
मगर ये हक़ीक़त है —
दिल लहूलुहान होता है।
दुनिया से छुपा भी लूँ,
मगर ख़ुद को कैसे बहलाऊँ,
कैसे समझाऊँ कि सब ठीक है
जब रूह तक सुलग रही हो।
ख़ामोशी में भी चीख़ गूंजती है,
हर याद दिल में नश्तर सी चुभती है।
क़दम तो चलते हैं,
मगर दिल वही ठहरा रहता है,
जहाँ से वो जुदा हुई थी।
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