उठो राजन, धर्म निभाओ
उठो राजन, धर्म निभाओ
घर के आँगन में धुआँ उठ रहा है,
पड़ोस की हवाओं में बारूद घुल रहा है।
दीवारें चीख रही हैं,
पर तुम खिड़कियाँ बंद किए बैठे हो।
कितनी देर देखोगे तमाशा,
जबकि राख तुम्हारी चौखट तक आ रही है?
कितनी देर बैठोगे चुपचाप,
जबकि चिंगारियाँ तुम्हारी नींद तोड़ रही हैं?
राजन, यह मत सोचो कि भाई बड़ा हो चुका है,
यह मत मानो कि वह सब सँभाल लेगा।
आग कभी किसी से समझौता नहीं करती,
वह भूख से सब कुछ निगल जाती है।
भाई का दर्द तुम्हारा ही दर्द है,
उसका रोना तुम्हारे ही रक्त की गूँज है।
अगर उसका घर जल गया,
तो तुम्हारी छाया भी अधूरी हो जाएगी।
मौन का नाम शांति नहीं होता,
मौन कई बार अपराध बन जाता है।
इतिहास ने उन राजाओं को कभी माफ़ नहीं किया,
जो समय पर उठ खड़े नहीं हुए।
राजन, तुम्हारा धर्म केवल सीमाएँ बचाना नहीं,
बल्कि रिश्तों की नींव भी मजबूत करना है।
धरती पर खून से पला यह रिश्ता,
सिर्फ़ नक्शे से कभी नहीं मिट सकता।
आज अगर तुमने नज़रें फेर लीं,
तो कल इतिहास तुम्हें कठघरे में खड़ा करेगा।
लोग पूछेंगे –
“जब भाई कराह रहा था, तब राजा कहाँ था?”
तुम्हारी ताक़त केवल तुम्हारे लिए नहीं है,
वह सबकी उम्मीदों का आधार है।
तुम्हारा साहस केवल तुम्हारे लिए नहीं है,
वह सबकी सांसों का सहारा है।
भाई का घर टूटा तो तुम्हारी दीवारें भी काँपेंगी,
उसकी राख तुम्हारे बाग़ में गिरेगी।
उसकी चीख तुम्हारे राजमहल की नींद चीर देगी,
उसकी बेबसी तुम्हारे सिंहासन को अपमानित करेगी।
राजन, यह समय है उठने का,
यह समय है धर्म निभाने का।
धर्म केवल पूजा-पाठ में नहीं,
वह कर्म में छिपा है।
अगर आज तुम जागे,
तो भविष्य तुम्हारा गुणगान करेगा।
अगर आज तुम सोए रहे,
तो आने वाली पीढ़ियाँ तुम्हें कोसेंगी।
इतिहास की किताबें गवाह हैं –
जो राजा तमाशा देखते रहे,
वे कभी सम्मानित नहीं हुए,
वे हमेशा कलंकित कहे गए।
राजन,
तुम्हारी चुप्पी से जंगल जल जाएगा,
तुम्हारी देर से नदी सूख जाएगी।
तुम्हारी हिचकिचाहट से
हवाएँ ज़हर में बदल जाएँगी।
उठो,
अपने कंधों पर धर्म का भार सँभालो।
उठो,
ताक़त की मशाल जलाओ।
उठो,
और बता दो दुनिया को –
कि भाई का घर जलता देख
राजा कभी तमाशबीन नहीं बनता।
भाई का घर तुम्हारा भी घर है,
उसका दुःख तुम्हारा भी दुःख है।
धर्म यही कहता है –
जो बचा सकता है, वह चुप न बैठे।
इसलिए आज ही उठो राजन,
इतिहास तुम्हें पुकार रहा है।
धरती की ममता तुम्हें पुकार रही है।
भाई की चीख तुम्हें पुकार रही है।
और तुम्हारा अपना हृदय
तुम्हें जगाने की कोशिश कर रहा है।
उठो…
धर्म निभाओ…
वरना तुम्हारा मौन
सबसे बड़ा अपराध कहलाएगा।
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