मुझे सबसे अधिक कठिनाई इसी बात से है
मुझे सबसे अधिक कठिनाई इसी बात से है
कि लोग कहते हैं—
“माँ आई हैं दस दिनों के लिए।”
इनमें से आठ दिन बीत चुके हैं,
और परसों माँ चली जाएँगी।
पर मेरी माँ तो सदा मेरे साथ रहती हैं—
हर पल, हर क्षण, हर साँस में।
फिर क्यों यह एहसास दिलाया जाता है
कि माँ चली जाएँगी?
क्या ये दस दिन
सिर्फ़ ख़ुशी के लिए आते हैं,
या इसलिए कि हमें याद दिलाया जाए
कि माँ फिर पूरे एक वर्ष तक नहीं मिलेंगी?
हम तो हर पल माँ के साथ रहते हैं।
उन्हें ऐसा देखकर प्रसन्नता होती है
कि सम्पूर्ण जग
हमारे समान,
कम-से-कम इन दस दिनों के लिए ही सही,
माँमय हो उठता है।
पर उन्हें क्या पता—
हमारी माँ तो सदैव हमारे संग हैं,
और हमारे जीवन का
हर एक क्षण
उनकी उपस्थिति से
आनंद और आशीर्वाद से भरा हुआ है।
रूपेश रंजन
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