मैंने बुलाया उसे...

मैंने बुलाया उसे,

वह नहीं आई।

मैं प्रतीक्षा करता रहा।

फिर बुलाया,

वह फिर नहीं आई।


वह आई—

मगर अपनी मरज़ी से,

मेरे बुलाने पर नहीं।

वह अपने लिए आई,

और चली भी गई।


मैंने फिर बुलाया,

वह नहीं आई।

मैं बार-बार बुलाता रहा,

पर वह कभी न आई।


उसने कहा—

"जब तुम मुझे लेने आओगे,

तभी मैं तुम्हारे साथ चलूँगी।"

मैं तो पहले भी साथ लाया था,

किन्तु वह हर बार चली गई।

उसे शायद कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता।


अब इस बार मैं लेने नहीं जाऊँगा।

वह आए या न आए ।

मैं प्रतीक्षा करता रहूँगा।

वह आए या न आए ।

मैं बुलाता रहूँगा।

वह आए या न आए ।

मैं उसे प्रेम करता रहूँगा

वह आए या न आए ।


रूपेश रंजन

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