खलता तो बहुत कुछ है, पर उसका मुझे धोखा देना

खलता तो बहुत कुछ है,
पर उसका मुझे धोखा देना
और फिर किसी और से जुड़ जाना,
इसका कोई जवाब ही नहीं।

वो उसका हक़ है,
उसकी मर्ज़ी है,
जिसके साथ ठीक लगे, उसके साथ चली जाए।
पर दर्द तो होता है…
झूठ बोल दूँगा सबको,
पर सच नहीं है —
दर्द तो होता है।

दुनिया से छुपा भी लूँ,
पर खुद को कैसे समझाऊँ,
कैसे कहूँ कि सब ठीक है,
जब दिल का कोना-कोना चिल्ला रहा है
कि सब बिखर चुका है…

चाहे जितना मज़बूत बनूँ,
दिल के ज़ख्म अपना असर दिखाते ही हैं,
और मैं बस ख़ामोशी में
उन ज़ख्मों को सहता रहता हूँ।

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