✨“दीपावली का अनन्त प्रकाश”✨

✨“दीपावली का अनन्त प्रकाश”✨

संध्या की गोद में जब शांति उतरती है,
दीपों की पंक्ति धीरे से झरती है,
हर आँगन से, हर द्वार से पुकार,
जग उठे प्रकाश का त्योहार।

नीले गगन में सुनहरी डोर,
झिलमिल करती जैसे चितचोर,
हर ज्योति एक व्रत, एक अरमान,
धरती को बाँधे आसमान।

गेंदा की खुशबू बिखरे चारों ओर,
पुरखों की गाथाएँ गूँजे हर ठौर,
राम के वनवास का अंत हुआ,
अंधकार का साम्राज्य ध्वस्त हुआ।

धरती पर तारे झिलमिलाए,
दीयों ने नभ के रूप सजाए,
हर लौ में स्नेह, हर रोशनी में गीत,
भलाई की जीत का मनमीत।

बालपन की हँसी गलियों में गूँजे,
पटाखों के रंग आसमान में पूँजे,
हर विस्फोट में हर्ष का भाव,
हर मुस्कान में प्रेम का प्रभाव।

मंदिर की घंटियाँ धीरे बजतीं,
भक्ति की नदियाँ बहतीं,
धूप की लहरें चढ़तीं गगन,
हर हृदय में उठता भजन।

माँ के हाथों से मिठास टपके,
केसर की खुशबू दीपों में लिपके,
पिता जलाएँ दीपक ध्यान से,
शांति उतरती उनके प्राण से।

हर घर में कथा पुरानी कही जाए,
सदाचार की लौ फिर जगमगाए,
पर उस कथा के भीतर छिपा,
एक सत्य — आत्मा का दीप जगा।

दीवाली केवल सोना नहीं,
ना ही बस उत्सव का कोना सही,
ये वो क्षण जब आत्मा बोले,
“मैं भी ज्योति हूँ, अंधेरे में खोले।”

मन के कोनों को जब धोया जाए,
करुणा का दीप जब जलाया जाए,
तो भीतर का अंधकार मिटे,
और प्रेम का सागर फूट पड़े।

दीयों से बढ़कर उजाला है,
सद्भावना का जो रखवाला है,
ये पर्व नहीं बस सजावट का,
ये प्रण है सच्चे आचरण का।

लक्ष्मी तभी वहाँ निवास करती,
जहाँ विनम्रता हृदय में भरती,
जहाँ लोभ का छाया नहीं,
वहीं सुख की माया सही।

आसमान तारे बुनता हुआ,
समय का पट चित्रित करता हुआ,
हर दिल आज मंदिर बन जाए,
हर आत्मा प्रार्थना बन जाए।

शहर जगमग, पर सच्चा दीया,
हृदय में जलता पावन जिया,
घृणा को हराना, क्षमा को अपनाना,
यही है सच्चा दीप जलाना।

भोर जब फिर सुनहरी आए,
ओस की बूँदों में जग मुस्काए,
नव प्रभात फिर रच दे कहानी,
दुख मिट जाए, छू ले जवानी।

हे दीपावली, उज्ज्वल त्यौहार,
तेरा तेज अमर, अनुपम, अपार,
तेरे प्रकाश में सीखी ये बात—
“जग को बदलना है, जलाओ अपने भीतर की लौ साथ।”

हर दीप जो हम उठाते हैं,
वो बस रिवाज़ नहीं — उपहार हैं,
उस रोशनी में, निकट और दूर,
बसता है सच्चा, निर्मल नूर।

क्योंकि भगवान कहीं और नहीं,
वो बसते हैं हमारे ही यहीं,
हर प्रकाश जब भीतर जन्म ले,
दीपावली तब सच्ची हो चले।



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