"अहिंसा का योद्धा”
"अहिंसा का योद्धा”
जहाँ संसार तलवारों से सजा था,
जहाँ सत्ता की भूख ने मनुष्यता को खा लिया था,
वहीं तू आया शांत स्वर में,
और बोला — “अहिंसा ही सबसे बड़ा अस्त्र है।”
तू युद्धभूमि में नहीं उतरा,
फिर भी रण का इतिहास लिख गया।
तेरे पास न कोई तोप थी,
न कोई बंदूक,
सिर्फ सत्य का कवच था
और विश्वास की ढाल।
तेरी आँखों में आग नहीं,
प्रेम की गहराई थी,
तेरे शब्दों में रोष नहीं,
बल्कि नीति की सच्चाई थी।
तूने कहा —
“क्रोध से केवल युद्ध जन्मता है,
प्रेम से परिवर्तन।”
और वो वाक्य बन गया युग का विधान।
तेरी लाठी काँपती नहीं थी,
वो धरती को थामे रहती थी,
हर कदम पर लगता था
मानो धरती पर धर्म उतर आया हो।
जब अंग्रेज़ों की लाठियाँ बरसीं,
तेरा सिर झुका नहीं,
तेरा हृदय और मजबूत हुआ,
और तू मुस्कराया —
“अब सत्य का प्रभाव उन्हें चुभ रहा है।”
तेरे अनुयायी घायल हुए,
पर तूने कहा — “हाथ मत उठाओ।”
क्योंकि तेरा धर्म प्रतिशोध नहीं,
प्रायश्चित था।
तूने यह सिद्ध किया —
कि तलवार से देश जीता नहीं जाता,
बल्कि आत्मा से स्वतंत्रता मिलती है।
जो भय से लड़ता है,
वो योद्धा नहीं होता,
जो अहंकार से लड़ता है,
वो गांधी बनता है।
तेरे शब्दों ने साम्राज्य को तोड़ा,
तेरी खामोशी ने सिंहासन हिला दिए,
तेरे उपवास ने भूख से नहीं,
बल्कि अंतरात्मा से क्रांति लाई।
जब जेल के द्वार बंद हुए,
तेरी आत्मा और मुक्त हो गई,
तूने कहा —
“कैद शरीर की हो सकती है, विचारों की नहीं।”
तू भूखा रहा,
पर देश का पेट भर दिया आशा से।
तू नंगा रहा,
पर राष्ट्र को वस्त्र दे गया आत्म-सम्मान के।
तेरी धुन में चरखे का संगीत था,
जो गूंजता था —
“स्वावलंबन ही स्वतंत्रता है।”
हर चक्कर में तेरी आत्मा घूमती थी,
और भारत की तकदीर बुनी जाती थी।
तूने नमक को भी हथियार बना दिया,
दांडी के तट पर तेरे कदमों ने
समुद्र को भी भारतीय बना दिया।
तेरी चाल धीमी थी,
पर युगों से तेज़ थी,
हर कदम एक व्रत था,
हर पग एक क्रांति।
तेरी आवाज़ मंदिर की घंटी सी थी,
जो सत्य का संदेश गूँजाती थी।
तेरे शब्दों में कोई छल नहीं,
केवल मानवता की पुकार थी।
तूने कहा — “हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई,
सब भारत माँ के लाल हैं।”
और यह वाक्य
आज भी हमारे संविधान की आत्मा में गूंजता है।
तूने देखा जाति की जंजीरें,
और तोड़ने को शब्द उठाया,
“अस्पृश्य” नहीं — “हरिजन”,
यह शब्द मानवता की पुनर्जन्म ध्वनि थी।
तेरा हर कार्य उपदेश नहीं था,
वो आत्मा का विस्तार था।
तेरी हर असफलता
एक नई प्रेरणा का जन्म थी।
जब किसी ने तेरे चेहरे पर वार किया,
तूने सिर्फ इतना कहा —
“मैं क्षमा करता हूँ।”
तेरी यही क्षमा
तेरी सबसे बड़ी शक्ति थी।
तेरे नाम से आज भी डरते हैं झूठे,
तेरी प्रतिमा से आज भी झुकते हैं सत्य के भूखे।
क्योंकि तू व्यक्ति नहीं — विचार है,
तू राष्ट्र की आत्मा का स्वरूप है।
तेरे कदमों की धूल से
आश्रमों ने जन्म लिया,
तेरी प्रार्थनाओं से
कर्म का धर्म जागा।
तूने कहा —
“सत्य बिना अहिंसा अधूरा है,
और अहिंसा बिना सत्य बेमानी।”
इस संगम ने ही तुझे अमर किया।
तेरे जीवन में कोई वैभव नहीं,
पर तेरे हृदय में सृष्टि का सौंदर्य था।
तेरा चेहरा झुर्रियों से भरा था,
पर तेरी दृष्टि में युगों की रोशनी थी।
जब तू चला —
तेरे साथ भारत चला।
जब तू रुका —
तेरी प्रेरणा आगे बढ़ती रही।
तूने स्वतंत्रता दी,
पर अहंकार नहीं दिया,
तूने राष्ट्र को एकता दी,
पर विभाजन को कभी स्वीकार नहीं किया।
तेरी वाणी से ही गंगा पवित्र होती है,
तेरे कर्मों से ही मनुष्य विनम्र होता है।
तेरे शब्दों से ही राजनीति पवित्र लगती है,
तेरी मृत्यु से ही जीवन अर्थवान।
“हे राम” — तेरे अंतिम शब्द,
सदियों से गूंजते हैं,
हर हृदय में, हर दुआ में,
हर आँसू में, हर प्रार्थना में।
आज भी जब हिंसा बढ़ती है,
तेरे विचार लौट आते हैं,
कहते हैं —
“अगर कोई थप्पड़ मारे, दूसरा गाल आगे करो।”
ये दुर्बलता नहीं,
आत्मबल का सर्वोच्च प्रमाण है।
तेरी अहिंसा कोई डर नहीं थी,
वो आत्मा की विजय थी।
तेरा सत्य कोई नियम नहीं,
वो जीवन का अर्थ था।
तू मरा नहीं,
क्योंकि विचार नहीं मरते।
तेरे शब्द कालातीत हैं,
तेरा नाम अमर है।
गांधी, तूने सिखाया —
“धर्म मंदिर में नहीं,
मानवता में बसता है।”
तेरी यही शिक्षा
हर युग में गूंजती रहेगी।
तू योद्धा था —
बिना रक्त, बिना युद्ध के।
तेरी तलवार प्रेम थी,
तेरी ढाल सत्य।
तेरी वाणी में करुणा थी,
तेरे मौन में तीव्रता,
तेरी आँखों में समुद्र था,
तेरे हृदय में सारा भारत।
अहिंसा तेरी संतान है,
सत्य तेरी छाया,
और भारत —
तेरा अनन्त घर।
हे अहिंसा के योद्धा,
तेरा मार्ग कठिन था,
पर उसी कठिनाई ने
तुझे महात्मा बना दिया।
तेरे जाने के बाद भी,
तेरा अस्तित्व जीवित है —
हर शांति की अपील में,
हर सच्चाई की आवाज़ में,
हर बच्चे के स्कूल में,
हर सत्याग्रह के नाम में।
तेरे बिना भारत की आत्मा अधूरी है,
तेरे बिना इतिहास अधूरा,
तू महात्मा नहीं —
मनुष्य की आत्मा का प्रतीक है।
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