वह कैसी स्थिति होगी...

किसी की उपेक्षा करना भी समझ आता है,
पर वह कैसी स्थिति होगी,
जहाँ न कोई सम्मान करता हो,
न ही अपमान।
न कोई तुम्हारी रचना की बड़ाई करे,
न ही बुराई।

समाज क्या मूर्ख है, या अपरिपक्व?
जिसके अपने कान न हों,
अपनी आँखें न हों,
सोचने के लिए अपना मस्तिष्क न हो।

जो किसी और के दिए गए दृष्टिकोण पर
अपनी राय देता है,
पर स्वयं में समझ नहीं रखता —
वह किसी भी देश की कला, संस्कृति,
और बौद्धिक विकास के लिए
सबसे घातक स्थिति है।
रूपेश रंजन

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