विचार कभी सड़ते नहीं
विचार कभी सड़ते नहीं विचार कभी सड़ते नहीं, वो अमर कहानी होते हैं, मन के गहरे सागर में, छिपी कोई रवानी होते हैं। वक़्त की धूल जम जाए चाहे, पर विचारों की लौ बुझ पाए ना ये। कभी खामोश, कभी तूफ़ानी, कभी लिखे, कभी अनजानी। वो बीज हैं, जो मन में बोए जाते हैं, वक़्त आने पर फूल बनकर खिल जाते हैं। शब्द मिट सकते हैं दीवारों से, काग़ज़ जल सकते हैं अंगारों से। पर विचारों की जो अग्नि जलती है, वो आत्मा की गहराइयों में पलती है। ना उन पर जंग लगता है, ना समय की मार उन्हें थकता है। वे जीवित रहते हैं हर संकल्प में, हर नए विचार के अंकुरण में। इसलिए सोचो, खुलकर सोचो, अपने विचारों को पंख दो, उड़ने दो। क्योंकि यही तो हैं वो अमर नज़्म, जो जीवन को देती हैं असली अर्थ और रश्म।