समय बढ़ता है...
समय बढ़ता है, थमता नहीं,
हम सब तो बस खिंचे जा रहे हैं उसी के संग।
जैसे नदी का प्रवाह, अनवरत, निरंतर,
वैसे ही समय की धारा, अडिग और प्रचंड।
समय अनंत यात्रा पर है,
ना कोई ठिकाना, ना कोई सीमा।
हम सब इसके राही हैं,
आते हैं, जाते हैं, और खो जाते हैं।
समय के संग हमारी कहानियाँ,
क्षण-क्षण में गढ़ती नई पहचान।
हम बस किरदार हैं इस नाटक के,
जहाँ समय है साक्षी, और सृष्टि का ज्ञान।
जीवन पल भर का अंश है,
समय के विशाल महासागर में।
हमारे कदम भले छोटे हों,
पर समय चलता है अनंत क्षितिज की ओर।
तो क्यों न इस यात्रा में मुस्कुराएँ,
हर पल को गले लगाएँ।
समय तो बहता रहेगा सदा,
हम अपनी छवि इसमें छोड़ जाएँ।
Comments
Post a Comment