विश्व मंच पर भारत की चमक: प्रधानमंत्री मोदी की पाँच देशों की ऐतिहासिक यात्रा



विश्व मंच पर भारत की चमक: प्रधानमंत्री मोदी की पाँच देशों की ऐतिहासिक यात्रा

तारीख: 3 जुलाई 2025


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर भारत को वैश्विक कूटनीति के शिखर पर स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।
2 जुलाई से 9 जुलाई 2025 तक चलने वाली उनकी पाँच देशों की यात्राघाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया — केवल राजनयिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि भारत की विदेश नीति के लिए एक नए युग की शुरुआत है।


🌍 घाना में भारत–अफ्रीका सहयोग का विस्तार

इस दौरे की शुरुआत अफ्रीकी राष्ट्र घाना से हुई। यहाँ प्रधानमंत्री मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान — "ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना" से नवाज़ा गया, जो भारत और घाना के लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है।

उन्होंने राष्ट्रपति नाना अकुफो–अड्डो के साथ मिलकर एक "व्यापक रणनीतिक साझेदारी" (Comprehensive Strategic Partnership) पर दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए, जो शिक्षा, रक्षा, ऊर्जा और कृषि क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाएगा।

यह केवल सम्मान नहीं, भारत की वैश्विक स्वीकार्यता और प्रभाव का प्रतीक है।


🌎 त्रिनिदाद और टोबैगो: प्रवासी भारतीयों से भावनात्मक जुड़ाव

इसके बाद प्रधानमंत्री त्रिनिदाद और टोबैगो पहुँचे, जहाँ उन्होंने भारतीय मूल के प्रवासियों से मुलाकात की। यहाँ का दौरा न केवल रणनीतिक था, बल्कि भावनात्मक भी — क्योंकि इस देश में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो भारत की संस्कृति, भाषा और परंपराओं को संजोए हुए हैं।

पीएम मोदी ने प्रवासी समुदाय को ‘भारत के सांस्कृतिक दूत’ कहा और डिजिटल इंडिया, योग, आयुर्वेद और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की।


🇦🇷 अर्जेंटीना में व्यापार और तकनीकी सहयोग

अर्जेंटीना में प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी, दवा उद्योग, और AI आधारित तकनीक पर सहयोग की संभावनाओं को गहराई से साझा किया।

दोनों देशों के बीच लिथियम खनन, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि प्रौद्योगिकी पर विशेष समझौते हुए — जो भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


🇧🇷 ब्राज़ील: ब्रिक्स और वैश्विक दक्षिण की रणनीति

ब्राज़ील में प्रधानमंत्री ब्रिक्स+ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहाँ भारत, चीन, रूस, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के साथ अन्य निमंत्रित देशों के नेता भी उपस्थित रहेंगे।

यह मंच अब केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में "ग्लोबल साउथ" (Global South) की आवाज़ बनने की दिशा में अग्रसर है — और भारत इस परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है।

पीएम मोदी की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि भारत अब केवल 'उभरती शक्ति' नहीं बल्कि 'निर्धारक शक्ति' बन चुका है।


🌍 नामीबिया: प्रकृति, रक्षा और संस्कृति का संगम

दौरे का अंतिम पड़ाव नामीबिया है — वही देश जिसने भारत को चीतों की वापसी में मदद की। यहाँ पर्यावरण संरक्षण, रक्षा सहयोग, और जैवविविधता को लेकर गहन चर्चा हो रही है।

नामीबिया के साथ संयुक्त रक्षा अभ्यास, जलीय प्रौद्योगिकी, और जनजातीय सांस्कृतिक संरक्षण को लेकर भी एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं।


🇮🇳 भारत का विज़न: ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ से वैश्विक कूटनीति तक

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा सिर्फ राजनीतिक दस्तावेज़ों और भाषणों तक सीमित नहीं है — यह भारत के वैश्विक दृष्टिकोण का विस्तार है।
उनकी विदेश नीति अब "गठबंधन बनाने" से आगे बढ़कर "भावनात्मक–सामरिक साझेदारी" की दिशा में काम कर रही है।

चाहे वह अफ्रीका हो या लैटिन अमेरिका — भारत हर भूभाग में न्यायसंगत, समावेशी और आत्मनिर्भर विकास का संदेश लेकर जा रहा है।


✍️ निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी की यह पाँच देशों की यात्रा — सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि एक भविष्य की रणनीति है।
यह भारत के वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक मजबूत कदम है, जिसमें आर्थिक शक्ति, सांस्कृतिक पहचान और मानवीय मूल्यों का अद्भुत संगम है।

भारत अब सिर्फ सुनने वाला नहीं, सुनाया जाने वाला राष्ट्र बन चुका है।




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