भारत की 2025 में वैश्विक रैंकिंग: अवसर और चुनौतियाँ
भारत की 2025 में वैश्विक रैंकिंग: अवसर और चुनौतियाँ
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था भी। लेकिन जब हम वैश्विक स्तर पर देशों की तुलना करते हैं, तो कई अंतरराष्ट्रीय सूचकांक हमें बताते हैं कि भारत कहाँ प्रगति कर रहा है और कहाँ सुधार की ज़रूरत है। हाल ही में विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति ने देश के लिए गर्व और आत्मचिंतन दोनों के अवसर प्रदान किए हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि 2025 तक भारत किन-किन सूचकांकों पर कहाँ खड़ा है और इन आँकड़ों का देश के लिए क्या अर्थ है।
1. ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI)
- भारत की रैंकिंग: 77वां स्थान
- शीर्ष पर: सिंगापुर
मानव विकास सूचकांक शिक्षा, स्वास्थ्य और आय के आधार पर देशों की प्रगति को मापता है। भारत की रैंकिंग यह दर्शाती है कि हम शिक्षा और स्वास्थ्य पर काफी आगे बढ़े हैं, लेकिन अभी भी सामाजिक असमानता और ग्रामीण-शहरी अंतर जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
2. जेंडर गैप रिपोर्ट
- भारत की रैंकिंग: 131वां स्थान
- शीर्ष पर: आइसलैंड
यह रिपोर्ट पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता को दर्शाती है। भारत में महिलाओं की शिक्षा और कार्यस्थल पर भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन लैंगिक वेतन भेद, राजनीति में प्रतिनिधित्व और सुरक्षा जैसी समस्याएँ अभी भी गंभीर हैं।
3. वैश्विक शांति सूचकांक (Global Peace Index)
- भारत की रैंकिंग: 115वां स्थान
- शीर्ष पर: आइसलैंड
यह सूचकांक सुरक्षा, आंतरिक संघर्ष और सैन्यीकरण को आधार बनाता है। भारत की स्थिति बताती है कि आंतरिक सुरक्षा और सीमावर्ती तनावों की वजह से हम शीर्ष देशों से अभी दूर हैं।
4. सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक
- भारत की रैंकिंग: 99वां स्थान
- शीर्ष पर: फ़िनलैंड
संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सतत विकास लक्ष्यों में भारत ने गरीबी उन्मूलन और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार किया है। फिर भी, शिक्षा की गुणवत्ता, पर्यावरण संरक्षण और लैंगिक समानता के मोर्चे पर और मेहनत की ज़रूरत है।
5. ऊर्जा संक्रमण सूचकांक
- भारत की रैंकिंग: 71वां स्थान
- शीर्ष पर: स्वीडन
भारत अक्षय ऊर्जा की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में हमने उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन ऊर्जा की खपत का संतुलन और स्वच्छ तकनीकों को अपनाने में और सुधार आवश्यक है।
6. जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI)
- भारत की रैंकिंग: 10वां स्थान
- शीर्ष पर: डेनमार्क
यह भारत के लिए गर्व का विषय है। बड़े देशों में भारत उन चुनिंदा देशों में से है जिसने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सौर मिशन, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और ग्रीन एनर्जी निवेश ने भारत को बेहतर स्थान दिलाया है।
7. विश्व खुशी रिपोर्ट
- भारत की रैंकिंग: 118वां स्थान
- शीर्ष पर: फ़िनलैंड
खुशी रिपोर्ट जीवन प्रत्याशा, सामाजिक समर्थन, भ्रष्टाचार की धारणा और मानसिक संतोष को मापती है। भारत की कम रैंकिंग यह दिखाती है कि आर्थिक विकास के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य, जीवन संतुलन और सामाजिक सुरक्षा पर हमें और ध्यान देना होगा।
8. वैश्विक आतंकवाद सूचकांक
- भारत की रैंकिंग: 14वां स्थान
- शीर्ष पर (सबसे खराब स्थिति): बुर्किना फासो
आतंकवाद के मामलों में भारत की स्थिति बताती है कि हमारे सामने आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की सुरक्षा चुनौतियाँ हैं। हालाँकि सुरक्षा बलों और तकनीक की मदद से हालात पहले से बेहतर हुए हैं, पर पूर्ण सुरक्षा अभी भी दूर है।
9. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक
- भारत की रैंकिंग: 151वां स्थान
- शीर्ष पर: नॉर्वे
यह भारत के लिए सबसे चिंताजनक सूचकांकों में से एक है। मीडिया लोकतंत्र की रीढ़ है, और प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल उठना लोकतांत्रिक ढाँचे को कमजोर करता है। सरकार, मीडिया और नागरिक समाज को मिलकर इस स्थिति को सुधारना होगा।
निष्कर्ष: आगे की राह
भारत की वैश्विक रैंकिंग हमें एक मिश्रित तस्वीर देती है। जहाँ जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में हमने सराहनीय प्रगति की है, वहीं मानव विकास, लैंगिक समानता और प्रेस स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर सुधार की भारी आवश्यकता है।
2025 का यह आँकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि केवल आर्थिक विकास ही पर्याप्त नहीं है। वास्तविक प्रगति तब होगी जब विकास समावेशी, सतत और पारदर्शी होगा।
भारत के पास अपनी विशाल युवा आबादी, तकनीकी क्षमता और लोकतांत्रिक ढाँचे की ताकत है। यदि इन संसाधनों का सही उपयोग हो, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपनी रैंकिंग सुधार सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन सकता है।
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