रक्षाबंधन: प्रेम, विश्वास और ऐतिहासिक विरासत का अनमोल पर्व
रक्षाबंधन: प्रेम, विश्वास और ऐतिहासिक विरासत का अनमोल पर्व
भारत विविधताओं का देश है—जहाँ हर पर्व केवल एक रस्म नहीं, बल्कि पीढ़ियों से जुड़ी सांस्कृतिक स्मृतियों और मूल्यों का वाहक है। रक्षाबंधन, जिसे ‘राखी’ भी कहते हैं, भाई-बहन के पवित्र बंधन का उत्सव है, जो सुरक्षा, स्नेह और विश्वास का वचन देता है।
रक्षाबंधन का अर्थ और मूल भाव
‘रक्षा’ का अर्थ है सुरक्षा, और ‘बंधन’ का अर्थ है बंधन या संबंध। यह पर्व उस अदृश्य डोर का उत्सव है जो भाई-बहन को जोड़ता है। प्राचीन काल में इसे केवल पारिवारिक संबंधों तक सीमित न रखकर सामाजिक एकता और परस्पर सम्मान का भी प्रतीक माना गया।
रक्षाबंधन की विविध ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँ
1. कृष्ण और द्रौपदी की कथा – महाभारत से
जब शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लगी और रक्त बहने लगा, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। यह भावनात्मक कार्य कृष्ण को इतना स्पर्श कर गया कि उन्होंने जीवन भर उसकी रक्षा का वचन दिया। यही वचन चीर-हरण के समय निभाया गया।
2. रानी कर्णावती और हुमायूँ की कथा – मध्यकालीन भारत से
चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने गुजरात के बहादुर शाह से रक्षा हेतु मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी। हुमायूँ ने धर्म और संस्कृति से ऊपर उठकर इसे स्वीकार किया और सहायता के लिए सेना भेजी।
3. यम और यमुनाजी की कथा – पौराणिक मान्यता
यमुनाजी हर वर्ष अपने भाई यमराज को राखी बांधती थीं। प्रसन्न होकर यम ने आशीर्वाद दिया कि जो बहन अपने भाई को राखी बांधेगी, उसका भाई दीर्घायु और सुखी होगा।
4. अलेक्ज़ेंडर और पोरस की कथा – इतिहास और किंवदंती का संगम
सिकंदर की पत्नी रॉक्साना ने भारतीय राजा पोरस को राखी बांधकर अपने पति की रक्षा का अनुरोध किया। युद्ध के दौरान पोरस ने इस बंधन का मान रखते हुए सिकंदर पर सीधा वार नहीं किया।
5. बालि और लक्ष्मी की कथा – विष्णु पुराण से
विष्णु भगवान ने राक्षस राजा बालि की रक्षा हेतु वचन दिया और उनके द्वारपाल बन गए। लक्ष्मी जी अपने पति को वापस लाने के लिए व्रत करके बालि को राखी बांधती हैं और बदले में विष्णु जी को वापस ले जाने का आग्रह करती हैं। यह कथा रक्षाबंधन की उत्पत्ति को देव-दानव संबंधों तक भी ले जाती है।
6. संत मीरा और राखी का भाव – भक्ति परंपरा से
मीरा बाई ने रक्षाबंधन को केवल रक्त संबंधों तक सीमित न मानकर अपने आध्यात्मिक भाई-बंधुओं को राखी बांधी, यह दिखाने के लिए कि स्नेह और रक्षा का बंधन मन की शुद्धता पर आधारित है, न कि केवल जन्म से।
7. राजपूताना और राखी – वीरता का प्रतीक
राजपूत स्त्रियाँ संकट के समय पड़ोसी राजाओं को राखी भेजकर अपने किले और नगर की रक्षा का अनुरोध करती थीं। यह न केवल सुरक्षा का वचन था, बल्कि राजनीतिक और सैन्य गठबंधन का भी माध्यम था।
प्राचीन ग्रंथों में रक्षाबंधन के संदर्भ
- भविष्य पुराण में श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधने की परंपरा का उल्लेख मिलता है, जिसमें यह कहा गया है कि इस दिन यज्ञोपवीत बदलना और रक्षा-सूत्र बांधना मंगलकारी है।
- स्कंद पुराण में देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के समय इंद्र की पत्नी शचि द्वारा इंद्र को रक्षा-सूत्र बांधने का प्रसंग मिलता है, जिससे उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त हुई।
आधुनिक युग में रक्षाबंधन
1. सैनिकों और सीमा की रक्षा
देशभर की बहनें सैनिक भाइयों को राखी भेजती हैं। यह बंधन राष्ट्रीय सुरक्षा और बलिदान का सम्मान है।
2. सामाजिक एकता का प्रतीक
कई स्थानों पर यह पर्व विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच भाईचारे का संदेश देता है। स्कूल, कॉलेज और सामाजिक संगठन इस अवसर पर “सद्भावना राखी” अभियान चलाते हैं।
3. पर्यावरणीय और सामाजिक पहल
अब कई लोग रक्षाबंधन को पर्यावरण से जोड़ते हुए बीज वाली राखी, मिट्टी की राखी या हस्तनिर्मित राखी का प्रयोग करते हैं।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन केवल एक धागा नहीं, बल्कि इतिहास, पौराणिकता, संस्कृति और भावनाओं से बुना हुआ बंधन है। यह हमें सिखाता है कि चाहे संबंध रक्त के हों या मन के, विश्वास और सुरक्षा का वचन सबसे पवित्र होता है। समय चाहे बदल जाए, लेकिन यह धागा पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेम, जिम्मेदारी और एकता का संदेश देता रहेगा।
Comments
Post a Comment