कृष्ण का प्रभाव



कृष्ण का प्रभाव 

कृष्ण न केवल गोकुल के नंदलाल हैं,
वे ब्रह्मांड के रचयिता और पालनहार हैं।
उनकी मुस्कान से फूलों में सुगंध आती है,
उनकी बंसी से आत्मा में शांति समाती है।

कृष्ण का नाम लेते ही मन निर्मल हो जाता,
हर पीड़ा का बोझ क्षण में ही मिट जाता।
भक्ति की धारा हृदय में बहने लगती है,
अंधकार मिटकर जीवन में दीपक जलता है।

उनके चरणों की धूल अमृत से भी प्यारी,
हर भक्त की पलकों में बसती उनकी छवि न्यारी।
जन्म से मृत्यु तक वही सखा बन जाते,
सुख-दुख में साथ निभाकर राह दिखाते।

गीता का उपदेश है उनका अनंत उपहार,
धर्म का दीपक है, जीवन का आधार।
"कर्म करो, फल की चिंता मत करना",
ये वचन हर आत्मा को सत्य में गढ़ना।

कृष्ण के वचनों से मिलता साहस और बल,
संघर्षों में भी मन रहता अडिग और सरल।
युद्धभूमि हो या जीवन का मैदान,
उनकी वाणी बनती है सबसे महान।

गोपियों के प्रेम में छिपा है भक्ति का रहस्य,
राधा के समर्पण में है आत्मा का उत्कर्ष।
कृष्ण केवल प्रेम का सागर ही नहीं,
वो ईश्वर हैं जो हर हृदय में धनी।

उनकी बंसी की तान में शांति का स्वर,
हर आत्मा गाती है "श्याम सुंदर"।
वन-वन में गूँजता उनका प्यारा नाम,
हर युग में सुनाई देती वही बांसुरी धाम।

जब कंस का अत्याचार बढ़ गया भारी,
तब कृष्ण ने दिखाई अपनी शक्ति न्यारी।
धर्म की रक्षा और अधर्म का संहार,
युग-युगांतर तक चलता उनका प्रचार।

गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाया,
भक्तों को सुरक्षा का वरदान दिलाया।
बरसाने की वर्षा भी व्यर्थ हो गई,
भक्ति में विश्वास की जीत हो गई।

कालिया नाग का फण जब फड़फड़ाया,
कृष्ण ने उस पर भी नृत्य रचाया।
संदेश दिया कि भय को त्यागो सदा,
भक्ति और साहस से जीतो हर दुविधा।

महाभारत में जब अर्जुन था निराश,
कृष्ण ने उसके मन में जगाया विश्वास।
सार्थी बनकर दिया धर्म का प्रकाश,
करा दिया युद्ध को जीवन का उपहास।

उनके प्रभाव से अर्जुन ने पाया बल,
समझा कि जीवन केवल कर्तव्य का संबल।
स्वार्थ नहीं, धर्म ही सर्वोपरि है,
यही कृष्ण की वाणी का संदेश सही है।

आज भी हर हृदय में उनका राज है,
हर पीड़ा में उनका ही इलाज है।
मंदिरों में गूँजती है आरती की ध्वनि,
भक्तों के मन में खिलती है भक्ति रवनी।

जन्माष्टमी पर जब झूला सजाया जाता,
तो लगता जैसे स्वयं ईश्वर उतर आता।
नन्हें कान्हा की छवि जब आँखों में भरती,
तो आत्मा की प्यास तुरंत ही मरती।

कृष्ण का प्रभाव केवल भक्ति तक सीमित नहीं,
वो नीति, दर्शन और धर्म में भी कहीं।
उनके वचनों से बनती है संस्कृति महान,
उनकी छवि से सजता है भारत का जहान।

हर गोपी, हर भक्त कहता यही,
कृष्ण के बिना जीवन अधूरा सही।
उनके बिना संगीत अधूरा है,
उनके बिना प्रेम भी अधूरा है।

कृष्ण ने हमें सिखाया त्याग और करुणा,
भक्ति में छिपी है शक्ति और धरणा।
उन्होंने कहा—"मैं हर आत्मा में बसता",
सत्य और प्रेम ही मेरा रूप बनता।

आज भी जब कोई पीड़ा से रोता,
नाम "कृष्ण" लेते ही दिल संजोता।
भक्ति की लहर मन में दौड़ जाती,
हर व्यथा क्षण में मिट जाती।

वो ग्वालों के सखा, राधा के श्याम,
माँ यशोदा के लल्ला, अर्जुन के प्राण।
हर रूप में वो हमारे साथी बनते,
हर जीवन में नया संदेश देते।

कृष्ण का प्रभाव अनंत और अद्भुत है,
उनका नाम ही जीवन का वरदान है।
जग उनके बिना सूना-सूना लगता,
उनकी लीला ही हृदय को सजाता।

इसलिए जन्माष्टमी हो या कोई भी दिन,
कृष्ण का स्मरण ही सबसे बड़ा चिन्ह।
उनका प्रेम और आशीर्वाद पावन,
हर भक्त के जीवन को करता दैविक और दामन।



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