इख़्तिताम में भी सुकूँ है
इख़्तिताम में भी सुकूँ है
कुछ हिज्र के बाद दिल को सुकूँ मिलता है,
जो बोझ थे, वो हवाओं में कहीं गुम हो जाते हैं।
हर जुदाई सिर्फ़ ग़म नहीं होती,
कभी-कभी फ़साने का अंजाम ही रहमत बन जाता है।
जो रिश्ते बोझिल हो जाएँ,
जो मोहब्बत इम्तिहान बन जाए,
उन्हें रिहा कर देना ही सब्र है,
क्योंकि रूह की शफ़्फ़ाफ़ी को ख़ामोशी चाहिए।
जब नक़ाबपोश चेहरे दूर चले जाते हैं,
आईना फिर से साफ़ नज़र आता है।
आँखों का अश्क धो देता है
सालों पुरानी यादों की गर्द।
कभी इख़्तिताम ही इब्तिदा होता है,
हर रुख़्सत में नयी सब्ह छुपी होती है।
जो रह जाएँ, वही सच्चे हैं,
बाक़ी तो बस ग़ुबार की तरह उड़ जाते हैं।
तू मुस्कुरा, जब कोई तुझे छोड़ जाए,
क्योंकि उस जुदाई में तेरी राहत है।
ज़िन्दगी बहुत मुख़्तसर है ग़म थामने को,
इसको उन लोगों से सजाना चाहिए,
जो तेरे दिल के शजर को छाँव दे सकें।
♥️♥️
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