भारत के प्रमुख ‘स्टैच्यू’ : भारत की सांस्कृतिक विरासत और गौरव

भारत के प्रमुख ‘स्टैच्यू’ : भारत की सांस्कृतिक विरासत और गौरव

भारत एक ऐसा देश है जिसकी पहचान केवल उसकी विविधता, संस्कृति और परंपराओं से ही नहीं होती, बल्कि उन महान विभूतियों से भी होती है जिन्होंने अपने विचारों, संघर्षों और योगदानों से समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी। इन विभूतियों की स्मृति को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए देशभर में भव्य प्रतिमाएँ (Statues) स्थापित की गई हैं। ये प्रतिमाएँ केवल कला और स्थापत्य के अद्भुत उदाहरण ही नहीं हैं, बल्कि वे राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय और आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक भी हैं।

नीचे भारत की कुछ प्रमुख प्रतिमाओं का उल्लेख किया जा रहा है –


1. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात)

  • स्थान : केवड़िया, नर्मदा नदी के तट पर, गुजरात
  • ऊँचाई : 182 मीटर (597 फीट)
  • प्रतिमा : सरदार वल्लभभाई पटेल
    यह दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है, जिसे ‘आयरन मैन ऑफ इंडिया’ कहे जाने वाले सरदार पटेल की स्मृति में बनाया गया। इस प्रतिमा का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति उनके योगदान को याद करना है। यह न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत का गौरव है।

2. स्टैच्यू ऑफ बिलीफ (राजस्थान)

  • स्थान : नाथद्वारा, राजस्थान
  • ऊँचाई : 112 मीटर (369 फीट)
  • प्रतिमा : भगवान शिव
    यह प्रतिमा धार्मिक आस्था और अध्यात्म का प्रतीक है। भगवान शिव की भव्य प्रतिमा दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती है।

3. स्टैच्यू ऑफ नॉलेज (महाराष्ट्र)

  • स्थान : लातूर, महाराष्ट्र
  • ऊँचाई : 70 फीट
  • प्रतिमा : डॉ. भीमराव अंबेडकर
    डॉ. अंबेडकर की यह प्रतिमा उनके ज्ञान और संविधान निर्माता के रूप में योगदान का प्रतीक है। यह समाज को समानता और शिक्षा का महत्व बताने वाली एक प्रेरणादायक धरोहर है।

4. स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी (कर्नाटक)

  • स्थान : बेंगलुरु, कर्नाटक
  • ऊँचाई : 108 फीट
  • प्रतिमा : श्री नादप्रभु केंपेगौड़ा
    बेंगलुरु शहर के संस्थापक माने जाने वाले केंपेगौड़ा की प्रतिमा समृद्धि और विकास का प्रतीक है। यह कर्नाटक की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करती है।

5. स्टैच्यू ऑफ सोशल जस्टिस (आंध्र प्रदेश)

  • स्थान : विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
  • ऊँचाई : 125 फीट
  • प्रतिमा : डॉ. भीमराव अंबेडकर
    यह प्रतिमा सामाजिक न्याय और समानता का संदेश देती है। यह भारत में दलितों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए अंबेडकर के संघर्ष की याद दिलाती है।

6. स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी (तेलंगाना)

  • स्थान : हैदराबाद, तेलंगाना
  • ऊँचाई : 216 फीट (65.5 मीटर)
  • प्रतिमा : संत श्री रामानुजाचार्य
    संत रामानुजाचार्य की यह प्रतिमा समता और भक्ति का प्रतीक है। उनके विचार सामाजिक समानता, सहिष्णुता और आध्यात्मिक उन्नति पर आधारित थे।

7. स्टैच्यू ऑफ वननेस (मध्य प्रदेश)

  • स्थान : मध्य प्रदेश
  • ऊँचाई : 108 फीट
  • प्रतिमा : आदि शंकराचार्य
    आदि शंकराचार्य की प्रतिमा भारतीय दर्शन और अद्वैत वेदांत की धरोहर का प्रतीक है। यह भारत की आध्यात्मिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाती है।

निष्कर्ष

भारत की ये प्रतिमाएँ केवल पत्थर और धातु की संरचनाएँ नहीं हैं, बल्कि ये उन विचारों और मूल्यों की जीवंत झलक हैं जिन पर भारत का निर्माण हुआ है।

  • सरदार पटेल हमें राष्ट्रीय एकता की याद दिलाते हैं।
  • डॉ. अंबेडकर हमें सामाजिक न्याय और समानता का संदेश देते हैं।
  • भगवान शिव और संत रामानुजाचार्य आध्यात्मिकता और धर्म का मार्ग दिखाते हैं।
  • आदि शंकराचार्य और केंपेगौड़ा भारतीय संस्कृति, समृद्धि और दर्शन की धरोहर को संजोए हुए हैं।

इन प्रतिमाओं के माध्यम से भारत ने यह संदेश दिया है कि विचार अमर होते हैं। ये प्रतिमाएँ आने वाली पीढ़ियों को अपने महान नेताओं और संतों से प्रेरणा लेने के लिए सदैव प्रेरित करती रहेंगी।



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