बिहार की प्रसिद्ध नदियाँ: इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की जीवनधाराएँ
बिहार की प्रसिद्ध नदियाँ: इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की जीवनधाराएँ
बिहार की पहचान उसकी नदियों से गहराई से जुड़ी है। प्राचीन काल से लेकर आज तक, ये नदियाँ यहाँ की सभ्यताओं का आधार रही हैं। इन्होंने खेतों को उपजाऊ बनाया, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को आकार दिया, और जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया। आइए जानते हैं बिहार की प्रमुख नदियों के बारे में।
1. गंगा नदी
भारत की सबसे पवित्र और ऐतिहासिक नदी गंगा, बिहार में बक्सर से प्रवेश करती है और भागलपुर होते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। पटना, मोकामा, मुंगेर, भागलपुर जैसे शहर इसके किनारे बसे हैं। कृषि, पेयजल, मत्स्य पालन और छठ महापर्व जैसे धार्मिक आयोजनों का केंद्र है।
2. सोन नदी
अमरकंटक पठार (मध्य प्रदेश) से निकलकर यह नदी रोहतास से बिहार में प्रवेश करती है और पटना के पास गंगा से मिलती है। सोन नहर प्रणाली (Son Canal System) के माध्यम से यह सिंचाई में अहम योगदान देती है।
3. गंडक नदी
नेपाल के हिमालय से निकलकर यह नदी वाल्मीकिनगर (प. चंपारण) से बिहार में प्रवेश करती है और पटना के पास गंगा में मिल जाती है। वाल्मीकिनगर बैराज से बिजली उत्पादन और सिंचाई दोनों होते हैं।
4. कोसी नदी
तिब्बत से निकलकर नेपाल होते हुए सुपौल ज़िले से बिहार में प्रवेश करती है। बार-बार रास्ता बदलने और बाढ़ लाने के कारण इसे बिहार का शोक कहा जाता है, फिर भी इसकी उपजाऊ मिट्टी खेती के लिए वरदान है।
5. बागमती नदी
नेपाल के शिवपुरी पहाड़ों से निकलकर यह नदी सीतामढ़ी ज़िले से बिहार में प्रवेश करती है और आगे जाकर कोसी से मिल जाती है। जनकपुर (नेपाल) और दरभंगा के धार्मिक महत्व से जुड़ी है।
6. कमला नदी
नेपाल से निकलकर यह नदी मधुबनी और दरभंगा से होकर बहती है और बागमती से मिल जाती है। सिंचाई और मत्स्य पालन के लिए महत्वपूर्ण है।
7. पुनपुन नदी
झारखंड के छोटानागपुर पठार से निकलकर यह नदी औरंगाबाद, गया और पटना से होकर गंगा में मिलती है। छठ पूजा में इसका विशेष धार्मिक महत्व है।
8. फल्गु नदी
लिलाजन और मोहन नदी के संगम से बनी यह नदी गया शहर से होकर बहती है। पिंडदान और श्राद्ध संस्कार के लिए प्रसिद्ध है। गर्मियों में अक्सर इसका तल सूखा रहता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय है।
9. किउल नदी
झारखंड से निकलकर यह नदी लखीसराय और शेखपुरा ज़िलों से होकर बहती है और सूरजगढ़ा के पास गंगा में मिल जाती है। इसकी घाटी कृषि और मत्स्य पालन का केंद्र है।
10. सकरी नदी
मधुबनी और दरभंगा में बहने वाली यह नदी कोसी बेसिन का हिस्सा है और धान की खेती के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
11. हरोहऱ नदी
किउल की सहायक नदी, जो लखीसराय और शेखपुरा ज़िलों से बहती है। सिंचाई और जलनिकासी में सहायक है।
12. चंदन नदी
झारखंड के पहाड़ों से निकलकर यह नदी बांका और भागलपुर से होकर गंगा में मिलती है। इसका जल और दृश्य प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
13. सप्तकोसी प्रणाली
कोसी नदी बनने से पहले नेपाल में इसकी कई सहायक नदियाँ — अरुण, तमोर, सुन कोसी, दूध कोसी, इन्द्रावती, लिखु, तामाकोशी — आपस में मिलती हैं और फिर बिहार में प्रवेश करती हैं।
14. दुर्गावती नदी
कैमूर और रोहतास ज़िलों से बहने वाली यह नदी दुर्गावती जलाशय परियोजना के कारण सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।
15. मोरहर नदी
गया और जहानाबाद में बहने वाली यह नदी पुनपुन से मिलती है और स्थानीय कृषि को सहारा देती है।
सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व
बिहार की नदियाँ केवल जलधाराएँ नहीं हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का आधार हैं। छठ, कार्तिक पूर्णिमा, पिंडदान जैसे अनुष्ठान इनसे जुड़े हैं। उपजाऊ मिट्टी और जल संसाधन के कारण बिहार कृषि के लिए देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में गिना जाता है।
संरक्षण की आवश्यकता
प्रदूषण, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन से नदियाँ खतरे में हैं। इनके संरक्षण के लिए सतत जल प्रबंधन, तटवर्ती वनीकरण और प्रदूषण नियंत्रण बेहद जरूरी है।
बिहार की नदियाँ केवल भौगोलिक संरचनाएँ नहीं, बल्कि अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाली जीवनदायिनी धारा हैं।
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