राख क्या रोएगी, राख तो रुलाएगी(2)

राख क्या रोएगी, राख तो रुलाएगी

राख क्या रोएगी,
राख तो रुलाएगी।
यह अंत नहीं, बस एक पड़ाव है,
हर राख से नई आग जग जाएगी।

जिसे तुमने अंत समझ लिया,
वह तो पुनर्जन्म का आह्वान है,
हर जलन के बाद,
एक नया जीवन संधान है।

धधकते अंगारों की नीरव चीखें
रात के अंधेरों को चीरती हैं,
वे कहती हैं —
"हमें मत रोको,
हम राख में भी जीवन बोते हैं।"

राख सिर्फ जली हुई कहानी नहीं,
यह साहस की गवाही है,
यह उस आग का प्रमाण है
जो कभी बुझी नहीं।

जब तक राख है,
आग का होना निश्चित है,
और जब तक आग है,
नया सवेरा भी निश्चित है।

राख क्या रोएगी,
राख तो रुलाएगी।
तुम्हारे भीतर छिपी नींद तोड़ देगी,
तुम्हें जलाएगी, तुम्हें जगाएगी।

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