आराधना के आलोक में निनादित नभ...
आराधना के आलोक में निनादित नभ,
भक्ति की सरित बहती अनवरत सब।
त्रिकाल वंदित दिव्य दुर्गा स्वरूपा,
सिद्धि, शक्ति, शांति की प्रदात्री अनूपा।
असुर-निसूदन महिमा प्रखरित,
धर्म-संरक्षण साधना उन्नतित।
सिंहवाहिनी माँ की ज्योतिर्मयी छवि,
नवरात्रि प्रदान करे जीवन को अमृतमयी अभिव्यक्ति।
अलौकिक ज्योति से जग आलोकित,
भक्ति-रस में हृदय नृत्यित।
त्रिकालवंद्या दुर्गा महिमामयी,
सिद्धि, शक्ति, शांति अनंत धारी।
असुर-दमन उसकी महिमा अवर्णनीय,
धर्म-संरक्षण साधना अनंतनीय।
सिंहवाहिनी माँ की तेजस्वी छवि,
नवरात्रि रचती जीवन में दिव्यता जीवंत।
♥️♥️
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