भारतीय टीम का चयन – सवालों, विसंगतियों और अन्याय से भरा सिस्टम
भारतीय टीम का चयन – सवालों, विसंगतियों और अन्याय से भरा सिस्टम
भारत में क्रिकेट सिर्फ़ एक खेल नहीं है, यह लोगों की भावनाओं, उम्मीदों और गर्व का प्रतीक है। जब भी टीम इंडिया की घोषणा होती है, हर क्रिकेट प्रेमी अपनी पसंद के खिलाड़ियों के नाम ढूँढता है। लेकिन आजकल भारतीय टीम का चयन किसी रहस्य से कम नहीं लगता। ऐसे नाम गायब हैं जो देश को जीत दिलाते रहे, और ऐसे चेहरे आ गए हैं जिनके चयन का कारण कोई नहीं समझ पा रहा।
कहना गलत नहीं होगा — भारतीय टीम का चयन अब तर्क से नहीं, भ्रम से चल रहा है।
रोहित शर्मा: चैंपियंस ट्रॉफी जिताने वाला कप्तान, अब हटाया गया!
रोहित शर्मा, जिसने भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जिताई, जिसने टीम को स्थिरता दी, वही रोहित अब कप्तानी से हटा दिए गए हैं।
क्यों? किस कारण? कोई स्पष्ट जवाब नहीं।
एक कप्तान जो शांत स्वभाव, रणनीतिक सोच और निरंतर प्रदर्शन के लिए जाना जाता है, अचानक किनारे कर दिया गया। क्या यह खिलाड़ी की गलती थी या चयनकर्ताओं की नीति की कमजोरी?
श्रेयस अय्यर T20 टीम से बाहर – आखिर क्यों?
श्रेयस अय्यर, जो मिडिल ऑर्डर का भरोसेमंद चेहरा बन चुके थे, अब T20 टीम से बाहर हैं।
उनका आईपीएल प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड दोनों ही बेहतर रहे हैं। फिर भी, उनके स्थान पर अस्थायी खिलाड़ियों को मौका दिया गया। यह तय करना अब मुश्किल हो गया है कि चयन का आधार फॉर्म है, फिटनेस है, या फिर किसी का प्रभाव?
मोहम्मद शमी और युज़वेंद्र चहल – भुला दिए गए मैच विनर
मोहम्मद शमी और युज़वेंद्र चहल, दो ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने भारत को कई बार जीत दिलाई, अब चयनकर्ताओं की नज़र से गायब हैं।
शमी का अनुभव और चहल की विकेट लेने की क्षमता किसी से छिपी नहीं, फिर भी दोनों अब टीम में नहीं।
क्या अनुभवी खिलाड़ियों की अब कोई कीमत नहीं बची? या फिर चयन अब प्रदर्शन से ज़्यादा राजनीति पर आधारित हो गया है?
बुमराह और जडेजा – ODI टीम से बाहर, ये कौन-सी रणनीति है?
जसप्रीत बुमराह, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ों में से एक, और रवींद्र जडेजा, ऑलराउंडर जिन पर पूरी टीम भरोसा करती है — दोनों ODI टीम में नहीं हैं।
फिट हैं, फॉर्म में हैं, फिर भी बाहर।
कभी कहा जाता है “आराम दे रहे हैं”, कभी “युवा खिलाड़ियों को मौका दे रहे हैं” — पर असली कारण क्या है, कोई नहीं बताता।
शुभमन गिल T20 में, संजू सैमसन ODI से बाहर – क्या यही संतुलन है?
शुभमन गिल को T20 टीम में जगह दी गई है जबकि उनकी स्ट्राइक रेट हाल ही में सवालों में रही है।
वहीं संजू सैमसन, जिसने हर मौके पर रन बनाए, फिर भी ODI टीम से बाहर है।
ऐसे फैसले खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को तोड़ देते हैं और यह संदेश देते हैं कि “प्रदर्शन से ज़्यादा, किसी का पसंदीदा होना ज़रूरी है।”
मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी – गुमनामी में खोए हुए सितारे
मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भारत को मज़बूती दी थी, अब पूरी तरह ग़ायब हैं।
ये वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में टीम को बचाया, लेकिन अब कोई उनका नाम तक नहीं लेता।
क्या भारत में धैर्य और टेस्ट खेलने की शैली अब किसी काम की नहीं रही?
विराट कोहली का संन्यास – एक युग का अंत और चयन व्यवस्था की असफलता
कल ही विराट कोहली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।
वह खिलाड़ी जिसने भारतीय क्रिकेट को जुनून, फिटनेस और आक्रामकता की नई परिभाषा दी — उसी खिलाड़ी का जाना किसी हार जैसा लगता है।
कोहली जैसे खिलाड़ी अगर खुद को थका हुआ और निराश महसूस करें, तो यह साफ़ संकेत है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गहरी समस्या है।
चयन में पारदर्शिता की कमी
सवाल सिर्फ़ “कौन अंदर है या बाहर” का नहीं है, असली समस्या है चयन में पारदर्शिता की पूरी कमी।
कभी किसी को एक मैच के बाद हटा दिया जाता है, कभी किसी को बार-बार मौके दिए जाते हैं।
किसी को “आराम” के नाम पर बाहर कर दिया जाता है, किसी को फिटनेस टेस्ट के बिना शामिल कर लिया जाता है।
खिलाड़ी, प्रशंसक और विशेषज्ञ — सब बस अंदाज़े लगाते रहते हैं।
आख़िरकार – योग्यता से ज़्यादा रहस्य क्यों?
भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट टैलेंट पूल है। लेकिन अगर चयन ही अस्पष्ट, पक्षपाती और अनिश्चित रहेगा, तो यह प्रतिभा कभी अपनी ऊँचाई तक नहीं पहुँच पाएगी।
जरूरत है एक ईमानदार, पारदर्शी और प्रदर्शन-आधारित चयन नीति की, जहाँ हर खिलाड़ी को पता हो कि उसके साथ न्याय हो रहा है।
जब तक ऐसा नहीं होगा, हर चयन बैठक एक उत्सव नहीं बल्कि एक रहस्य ही बनेगी —
एक ऐसा रहस्य, जो खिलाड़ियों को निराश और प्रशंसकों को भ्रमित करता रहेगा।
सवाल ये है — हम मैच खिलाड़ियों की वजह से हार रहे हैं या चयनकर्ताओं की वजह से?
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