“गांधी और सत्याग्रह”

“गांधी और सत्याग्रह”






सूरज उग रहा था,
धरती की साँस धीमी-धीमी जाग रही थी,
और कहीं गाँव की गलियों में
एक संत हाथ में डंडा नहीं,
बल्कि सत्य और करुणा लिए खड़ा था।

उसकी दृष्टि में शांति थी,
पर भीतर अटूट संकल्प।
वो कहते थे —
“हिंसा से विजय संभव नहीं,
सत्य और अहिंसा से ही क्रांति आती है।”

गाँव-शहर में उनके पदचिन्ह
जैसे चेतना के दीपक बनकर गूंज रहे थे।

वो कहते —
“सत्याग्रह केवल विरोध नहीं,
बल्कि प्रेम और न्याय का संदेश है।”

जब अंग्रेज़ों ने अन्याय किया,
तो उन्होंने तलवार नहीं,
प्रार्थना और उपवास को उठाया।

उनका सत्याग्रह
केवल राजनीतिक हथियार नहीं था,
बल्कि मनुष्य की आत्मा की शक्ति थी।

वो कहते —
“यदि मनुष्य अपने मन में सत्य का दीप जलाए,
तो कोई शक्ति उसे नहीं हरा सकती।”

उनकी यात्राएँ लंबी और कठिन थीं,
पर कदम डगमगाए नहीं।
हर पग एक संदेश था,
हर रुकावट एक परीक्षा।

गाँधी का सत्याग्रह
सिर्फ़ विरोध नहीं,
बल्कि आत्मबल और संयम का प्रतीक था।

वो कहते —
“हमारा हथियार केवल प्रेम है,
और कवच केवल सच्चाई।”

जेल की दीवारों में भी,
अंधकार में भी,
उनकी आत्मा स्वतंत्र थी।

वे बच्चों को कहते —
“सत्याग्रह में धैर्य की आवश्यकता है,
ताकि मनुष्य किसी भी बाधा से डरे नहीं।”

गाँधी के सत्याग्रह ने
देशवासियों को एक नई दिशा दी,
एक नई चेतना दी,
और एक नई आशा जगाई।

वो कहते —
“अहिंसा केवल पासिव नहीं,
बल्कि सबसे सक्रिय शक्ति है।”

उनके कदमों की गूँज
गाँव-शहर, खेत-नगर
सभी को झकझोरती थी।

जब नमक कानून तोड़ा गया,
तो यह केवल नमक नहीं था,
बल्कि स्वतंत्रता की पहली चिंगारी थी।

गांधी कहते —
“जब तक अन्याय है,
तब तक सत्याग्रह हमारा धर्म है।”

उनके लिए सत्याग्रह
कोई विकल्प नहीं,
जीवन की धारा थी।

वो कहते —
“जिसने दूसरों के अधिकार का सम्मान किया,
उसने ही सच्चा स्वतंत्रता संग्राम किया।”

उनकी यात्रा में भूख, प्यास, ठंड, गर्मी
कुछ नहीं रुकावट बनी,
क्योंकि भीतर अटूट विश्वास था।

गांधी का सत्याग्रह
सिर्फ भारत के लिए नहीं,
विश्व के लिए आदर्श था।

वे कहते —
“सत्य और अहिंसा का मार्ग सार्वभौमिक है,
यह धर्म, जाति, और देश नहीं देखता।”

उनकी उपवास यात्रा
केवल शरीर की तपस्या नहीं थी,
बल्कि अन्याय और अज्ञान के खिलाफ चेतना थी।

वो कहते —
“जब मनुष्य अपने भीतर परिवर्तन लाता है,
तब दुनिया बदल जाती है।”

गाँधी का सत्याग्रह
कृषक, मजदूर, महिला, बच्चा
सभी में घर करता था।

वे कहते —
“हर व्यक्ति, चाहे छोटा या बड़ा,
यदि सत्य और अहिंसा का पालन करे,
तो समाज मजबूत होगा।”

उनकी रणनीति
तलवार और बंदूक से नहीं,
विचार और प्रेम से जंग जीतती थी।

वे कहते —
“क्रांति केवल क्रोध से नहीं,
सत्य और अनुशासन से आती है।”

गांधी का संदेश आज भी गूँजता है —
“हिंसा से भय पैदा होता है,
सत्य से विश्वास।”

उनके सत्याग्रह ने
भारत को गुलामी से मुक्त किया,
और दुनिया को दिखाया
कि प्रेम और धैर्य सबसे बड़ी शक्ति है।

वो कहते —
“सत्याग्रह केवल विरोध नहीं,
बल्कि न्याय की सेवा है।”

उनके लिए हर कदम
एक प्रार्थना,
हर मुस्कान
एक विजय,
और हर संघर्ष
एक संदेश था।

गांधी का सत्याग्रह
सिर्फ आंदोलन नहीं,
जीवन की साधना बन गया।

वो कहते —
“यदि तुम स्वयं के साथ ईमानदार हो,
तो किसी भी अन्याय को सहन नहीं करोगे।”

उनकी उपवास, उनकी चुप्पी,
उनकी मुस्कान, उनका धैर्य
सब सत्याग्रह के पाठ थे।

आज भी जब कोई अन्याय के खिलाफ
शांति से खड़ा होता है,
तो गांधी वहीं खड़े होते हैं,
सत्य और अहिंसा के साथ।

उनका संदेश —
“डरो मत, लड़ो मत,
सिर्फ सच्चाई और प्रेम के साथ खड़े रहो।”

और इसी कारण
गांधी का सत्याग्रह आज भी जीवित है,
हर संघर्ष, हर आंदोल,
हर जीवन के निर्णय में।

वे कहते —
“सत्य और अहिंसा केवल शब्द नहीं,
ये जीवन का मार्ग हैं,
और यही हमारी असली स्वतंत्रता है।”

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