बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिलाओं की भागीदारी....
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिलाओं की भागीदारी
— लोकतंत्र में नारी शक्ति का उदय
प्रस्तावना
भारत का लोकतंत्र तभी सशक्त बन सकता है जब समाज का हर वर्ग उसमें समान रूप से भाग ले। मतदान इसी भागीदारी का सबसे प्रत्यक्ष माध्यम है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार ने इस दिशा में एक अद्भुत परिवर्तन देखा है — जहाँ महिलाएँ अब सिर्फ घर की चौखट तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि मतदान केंद्र तक पहुँचकर लोकतंत्र की असली भागीदार बन गई हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने इस प्रवृत्ति को और भी स्पष्ट कर दिया है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
बिहार के 2025 के चुनावों में मतदान का प्रतिशत पहले की तुलना में अधिक रहा, और इसका प्रमुख कारण महिलाओं की सक्रियता रही। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की लंबी कतारें इस बात का प्रतीक थीं कि अब वे अपनी आवाज़ खुद उठा रही हैं।
यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि एक सामाजिक-मानसिक परिवर्तन का संकेत भी है। महिलाएँ अब यह समझने लगी हैं कि वोट डालना केवल अधिकार नहीं, बल्कि भविष्य गढ़ने का अवसर भी है।
भागीदारी बढ़ने के प्रमुख कारण
1. शिक्षा और जागरूकता में वृद्धि – विद्यालयों, स्वयंसेवी संगठनों और सरकारी अभियानों ने महिला मतदाताओं को प्रेरित किया।
2. सरकारी योजनाओं का प्रभाव – उज्ज्वला योजना, जनधन खाता, और पंचायत स्तर पर महिला आरक्षण जैसी योजनाओं ने महिलाओं को सामाजिक रूप से सशक्त किया।
3. सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव – अब परिवारों में भी महिलाओं के निर्णयों का सम्मान बढ़ा है। पति, पुत्र या पिता अब उन्हें मतदान के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
4. स्वयं की पहचान की खोज – महिलाओं में यह भावना जागी है कि वे भी समाज और शासन में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
चुनौतियाँ अब भी बाकी
1. ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी – कई जगह मतदान केंद्र दूर हैं या परिवहन की कमी है।
2. शिक्षा और जानकारी की कमी – अब भी बड़ी संख्या में महिलाएँ मतदान प्रक्रिया की बारीकियों से अनजान हैं।
3. परिवारिक और सामाजिक दबाव – कई बार महिलाएँ अपनी मर्जी से वोट नहीं डाल पातीं, बल्कि दूसरों के कहने पर मतदान करती हैं।
4. मतदाता सूची से नाम हटने की समस्या – कई महिलाओं के नाम तकनीकी कारणों से सूची से हट जाते हैं, जिससे वे वोट नहीं दे पातीं।
राजनीतिक दलों की भूमिका
राजनीतिक दल अब यह भलीभांति समझ चुके हैं कि महिला मतदाता चुनाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए वे अपने घोषणापत्रों में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। रोजगार, सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे अब सीधे महिलाओं की भागीदारी से जुड़े हैं।
भविष्य की दिशा
महिला मतदान को और बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि मतदान केंद्रों की सुरक्षा, सुविधाएँ और सुलभता सुनिश्चित की जाए।
महिलाओं के लिए स्थानीय स्तर पर संवाद-कार्यक्रम, राजनीतिक साक्षरता अभियान, और स्वतंत्र निर्णय-प्रशिक्षण की पहल की जानी चाहिए।
मीडिया को भी इस दिशा में अपनी भूमिका निभानी होगी ताकि मतदान को केवल एक दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण का पर्व माना जाए।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया कि महिलाएँ अब लोकतंत्र की दर्शक नहीं, बल्कि दिशा-निर्देशक हैं। यह बदलाव न केवल चुनावी आँकड़ों में, बल्कि समाज की सोच में भी दिखाई देता है। जब महिलाएँ मतदान में भाग लेती हैं, तो वे न केवल अपने भविष्य का निर्णय करती हैं, बल्कि पूरे समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
बिहार की महिलाएँ अब सिर्फ वोट नहीं डाल रही हैं — वे लोकतंत्र को नई चेतना दे रही हैं।
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