गांधीजी: एक ऐसे पुरुष जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए

गांधीजी: एक ऐसे पुरुष जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए

हर युग में मानवता ऐसे व्यक्तित्वों की तलाश करती है जो उसे सत्य, शांति और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें। ऐसे ही एक दिव्य व्यक्तित्व थे महात्मा गांधी — जो केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेता नहीं, बल्कि पूरी मानवता के नैतिक मार्गदर्शक थे।
“गांधीजी एक ऐसे पुरुष हैं जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए” — यह केवल श्रद्धा का कथन नहीं है, बल्कि यह एक आह्वान है कि हम उनके मूल्यों को अपने जीवन में उतारें।


जो कहा, वही जिया

गांधीजी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने कभी वह उपदेश नहीं दिया जो उन्होंने स्वयं न अपनाया हो। उनका जीवन ही उनका संदेश था। वे मानते थे कि यदि दुनिया को बदलना है, तो पहले स्वयं को बदलना होगा।

उनका जीवन सादगी, सत्य और आत्मानुशासन का प्रतीक था। वे वही पहनते थे जो स्वयं चरखा चलाकर बनाते थे, वही खाते थे जो आवश्यक था, और वही बोलते थे जो सत्य था। उन्होंने दिखाया कि महानता का मापदंड पद या संपत्ति नहीं, बल्कि ईमानदारी और विनम्रता है। आज के भौतिकवादी युग में, गांधीजी की सादगी और आत्मसंयम का उदाहरण और भी प्रासंगिक है।


अहिंसा की अद्भुत शक्ति

गांधीजी का सबसे शक्तिशाली सिद्धांत था अहिंसा। उनके लिए अहिंसा केवल हिंसा का अभाव नहीं थी, बल्कि यह प्रेम, करुणा और समझ का सजीव रूप थी। वे कहते थे — “घृणा को घृणा से नहीं, केवल प्रेम से जीता जा सकता है।”

उन्होंने दिखाया कि बिना हथियार उठाए भी अन्याय के विरुद्ध लड़ा जा सकता है। उनका सत्याग्रह आंदोलन विश्वभर में प्रेरणा बना — मार्टिन लूथर किंग जूनियर से लेकर नेल्सन मंडेला तक, अनेक नेताओं ने गांधीजी के मार्ग से प्रेरणा ली। गांधीजी ने यह सिद्ध किया कि नैतिक साहस किसी भी हथियार से अधिक शक्तिशाली होता है।


सत्य ही ईश्वर है

गांधीजी के जीवन का दूसरा स्तंभ था सत्य। उनके लिए सत्य ही ईश्वर था। वे कहते थे — “सत्य के बिना ईश्वर की खोज अधूरी है।” उन्होंने कभी भी असत्य को सुविधा के लिए नहीं अपनाया, चाहे परिस्थितियाँ कितनी ही कठिन क्यों न हों।
उनकी दृष्टि में हर झूठ आत्मा को दूषित करता है, और हर सत्य उसे शुद्ध करता है।

आज के युग में, जब झूठ और दिखावा जीवन का हिस्सा बन गए हैं, गांधीजी हमें यह याद दिलाते हैं कि सत्य की विजय देर से होती है, लेकिन निश्चित होती है। गांधीजी का अनुसरण करना यानी कठिन परिस्थितियों में भी सत्य के पक्ष में खड़ा रहना।


मानवता का संदेश

गांधीजी की महानता उनकी असीम करुणा में थी। वे केवल मनुष्यों से ही नहीं, बल्कि पशुओं, प्रकृति और धरती से भी प्रेम करते थे। उनका आदर्श था ‘सर्वोदय’ — सबका कल्याण।
उन्होंने जाति, धर्म या नस्ल के आधार पर किसी को छोटा-बड़ा नहीं माना। उनके लिए पूरी मानवता एक परिवार थी।

उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया, सभी धर्मों का सम्मान किया और गरीबों की सेवा को ईश्वर की पूजा माना। गांधीजी मानते थे कि हर व्यक्ति में ईश्वर का अंश है, और इस ईश्वरीयता की प्राप्ति का मार्ग है निःस्वार्थ सेवा


आज के युग में गांधीजी की प्रासंगिकता

गांधीजी के देहावसान को कई दशक बीत चुके हैं, पर उनके विचार आज भी उतने ही जीवंत हैं।
हिंसा, भ्रष्टाचार और नैतिक पतन से भरे इस युग में उनके सिद्धांत एक दीपक की तरह राह दिखाते हैं।
राजनीति में सत्य, समाज में करुणा और व्यक्ति में आत्मसंयम — यही गांधीजी का सन्देश है।

गांधीजी का अनुसरण करने का अर्थ यह नहीं कि हम उनके वस्त्र या जीवनशैली की नकल करें। इसका अर्थ है उनके आत्मा के भाव को जीना —
सत्य को अपनाना, क्षमा करना, लालच त्यागना, और दूसरों की सेवा में सुख पाना।


एक पुरुष, एक मार्गदर्शक

गांधीजी कोई असाधारण देवता नहीं थे; वे एक सामान्य मनुष्य थे जिन्होंने असामान्य आत्मबल और आस्था के बल पर स्वयं को ऊँचाई पर पहुँचाया।
उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह कितना भी साधारण क्यों न हो, यदि वह सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले तो समाज को बदल सकता है।

गांधीजी का अनुसरण करना केवल इतिहास को याद रखना नहीं है, बल्कि उस इतिहास को वर्तमान में जीना है।
वे हमें सिखाते हैं कि शांति बाहर से नहीं, भीतर से शुरू होती है।

गांधीजी केवल एक व्यक्ति नहीं, एक विचार हैं —
एक ऐसी ज्योति जो कभी बुझ नहीं सकती।
वे सचमुच ऐसे पुरुष हैं जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए,
क्योंकि उनका मार्ग ही मानवता की सच्ची दिशा है।



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