अहंकार को छोड़िए, विकास को अपनाइए

अहंकार को छोड़िए, विकास को अपनाइए
✍️ लेखन: रूपेश रंजन

जीवन में हम सभी किसी न किसी रूप में जीतना चाहते हैं—बहस में, रिश्तों में, कार्यस्थल पर या समाज में। पर हर बार जीत हासिल करने की जिद में हम अक्सर अपनी असली ज़िन्दगी और महत्वपूर्ण चीज़ों से दूर हो जाते हैं। इसलिए—उसे बार-बार जीतने दीजिए।
जीवन सीमित है। समय कम है। इन छोटी-छोटी जीतों में समय बर्बाद करने से आप बड़ी और असली चीज़ों से दूर न हो जाएँ।


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🌱 अहंकार: सबसे सूक्ष्म शत्रु

अहंकार वह दीवार है जो इंसान और उसके ज्ञान के बीच खड़ी रहती है।
जब व्यक्ति ‘मैं’ के भाव में डूब जाता है, तो वह सच्चाई को देख ही नहीं पाता।
वह सोचता है कि हर लड़ाई जीतकर ही उसकी तरक्की होगी—लेकिन सच यह है कि हर बार लड़ना और हर बार सही साबित होना आपको असली चीज़ों से दूर कर देता है।

इसलिए अगर कोई व्यक्ति अपने अहंकार में जीता है, तो उसे जीतते रहने दीजिए। बार-बार। क्योंकि आपका समय सीमित है—ऊपर के लक्ष्य, रिश्ते, और भीतर की शांति खोना मोल नहीं है।


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🧘 झुकना हार नहीं, समझदारी है

झुकना कमजोरी नहीं; यह परिपक्वता है।
जब आप झुकते हैं, आप केवल सामने वाले को नहीं संतुष्ट करते—आप अपने भीतर के अहंकार को मात देते हैं।
और यही वह जगह है जहाँ सच्चा ज्ञान और सुधार जन्म लेते हैं।

यदि आप हर छोटी-अहंकारी लड़ाई में उलझते रहेंगे, तो समय बीत जाएगा और आप बड़े मकसदों से भटक जाएंगे। इसलिए चुनें—हर छोटी जीत के लिए समय बर्बाद करना, या बड़ी बातों के लिए अपनी ऊर्जा बचाकर आगे बढ़ना।


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🔍 वास्तविकता से साक्षात्कार

अहंकार में जीने वाला व्यक्ति अक्सर एक काल्पनिक दुनिया में रहता है—जहाँ वही सच्चा है।
लेकिन जब आप झुकते हैं, तब आपको वास्तविकता का सामना करना मिलता है। आप समझते हैं कि हर किसी का अपना अनुभव है, और हर दृष्टि का अपना स्थान है।
यह समझ आपको बदलने और बढ़ने में मदद करती है—और बदलाव तभी स्थिर रहता है जब वह भीतर से आता है।


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⏳ जीवन सीमित है — समय की कीमत समझिए

जीवन की घड़ी तेज़ी से चल रही है। छोटे-छोटे अहंकार, दिखाई देने वाली जीतें और तात्कालिक स्वयं का संतोष — सब समय चुरा लेते हैं।
आपको वही करना है जो आपके जीवन के बड़े उद्देश्यों के अनुकूल हो। इसलिए:

उसे बार-बार जीतने दीजिए — यह आपकी ऊर्जा बचेगी।

समय बचाइए — उसे उन कामों में लगाइए जो लंबे समय में सार्थक हों।

मुख्य चीज़ों से दूर मत होइए — रिश्ते, लक्ष्य, आत्मविकास — इन्हें प्राथमिकता दीजिए।



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🌸 निष्कर्ष

अहंकार छोड़ना आसान नहीं, पर आवश्यक है। बार-बार जीतने देना—यह आपके जीवन की समझदारी है, न कि हार। समय सीमित है; इसलिए छोटी-छोटी जीतों में घिरकर आप अपनी बड़ी जीतें और असली उद्देश्य न खो दें।

> अहंकार छोड़िए, अनुभव अपनाइए।
हारिए थोड़ा—ताकि जीवन की बड़ी चीज़ें जीत सकें।
झुकिए, ताकि ज्ञान और शांति आपके साथ चलें।

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