किसी का खोना, किसी का पाना है...
किसी का खोना, किसी का पाना है,
संसार यूँ ही चलता जाना है।
कभी हँसी में डूबी हैं आँखें,
कभी आँसूओं का समुंदर बहाना है।
मैं क्यों अड़चन डालूँ राहों में,
जब वक्त ही सब सिखलाता है,
जो आज मेरा नहीं रहा,
वो कल किसी और का ठिकाना है।
जीवन की ये अद्भुत रीत,
हर क्षण बदलती तस्वीर है,
कल जो था वो आज नहीं,
पर हर पल में कोई ताबीर है।
कभी बिछड़ना, कभी मिलना,
यही तो जीवन का सार है,
खोने में भी पाने की चाह,
पाने में भी खोने का भार है।
मैं बस मुस्कुरा के आगे बढ़ जाऊँ,
क्योंकि यही सच्ची साधना है,
किसी का खोना, किसी का पाना —
बस यही जग की साधना है।
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