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Chhoti chhoti shayari

खुद अपनी किस्मत लिखना होता है|

झूठ ही सच्चा लगता है

गांव से दामन क्या छूटा

लिखता हूँ मैं क्यूंकी सभ्य हु में

तू मुझसे ख़फ़ा मत रहा कर

हटा दे बंदिशे

क्यू इतना सोचता है तू

आज फिर सफ़र में था

मैं जिंदगी भर इश्क करता रहा

Iss jaare ke dhup ke saath(2)

इस जारे के धूप के साथ

Kuch halki fulki

Sajni

Karz chukana hai