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Subhas Chandra Bose and Mahatma Gandhi: Convergence of Respect in Divergence of Ideals

एक मौके पर सुभाषचंद्र बोस ने गांधीजी से अपने मतभेदो के बारे में कहा ।

कपड़ों से क्या ढकूँगा ख़ुद को,

*इस दुनिया में अगर कुछ भी ग़लत है

वो पल दे दे मुझे,

मौत भी कितनी हसींन और रवाँ लगती है,

कितने पास थे, कितने दूर हो गए,

मैं क्या ही लिख पाऊँगा...

तेरे गेसुओं की महक में रात ठहर जाती है...

Because I Know How It Feels

जब कोई साथ न हो

ख़ामोशी का इम्तिहान

मन की क्रांति

अच्छा लगता है

तुम जानते हो?