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मैं नहीं जानता... (2)

मेरी आख़िरी कविता ...

मत कर प्यार मुझसे... (2)

मत कर प्यार मुझसे...

आज की सुबह उनके बिना....

आज की सुबह बड़े पापा के बिना...

मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ...

अगर ये चली गई तो मेरा क्या होगा...

हाथों में हाथ, आँखों में मेरी तस्वीर...

तुम्हारा रूपेश

खो दिया था तुम्हें, फिर से पा लूंगा...

लेके मेरी आबरू, मुझे चाँद कहते हो।

शूरू में लज्जा आती थी...

मैं परीक्षा देने जाता हूं...

अजीब विडम्बना है...