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तुम्हारी आँखों में डूबने का मन करता है...

"तू चली गई, तो मुझे भी साथ ले लेती"...

दर्द ही दर्द था...

वो बीत गए, अब याद नहीं...

मुझसे मिलोगी तो शायद पहचान न पाओ..

मेरी शादी हो गई, अब मुझे कुछ याद नहीं....

कैसे भूल जाते हैं लोग किसी को याद रख के...

मैं क्यों न मानूं कि मैं उसके लिए भगवान हूं...

कविता: कवि के लिए ज़िंदगी है...

मैं कर ही क्या सकता हूँ...

तुम्हारे लिए आसान है...

तुम अपरिपक्व हो...

मैं भी चला जाऊंगा...

मेरी आख़िरी कविता (2)...

मैं नहीं जानता....