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तुम ही शिव हो...

ईश्वर और भय...

पर्वत का धैर्य...

अहंकार का बोझ...

किनारे पे बैठे लोग...

प्रेम की नदी...

क्या पाया तुमने कुंभ में नहाकर...

नज़रें...

निर्भरता का भार...

पत्नी का प्रेमिका हो जाना...

नदी को पता है...

बहाव और ठहराव...

अद्भुत है ये दुनिया...

नदी से बिछड़े पानी जैसे हैं...

निस्वार्थ सेवा का अमृत...